डैणवाँस: देवताओं और डायनों के युद्ध का फ़ैसला हुआ ‘पैनल्टी शूटआऊट’ से

जोगिन्दरनगर।। भादों महीने में देवों और डायनों के बीच हुए अदृश्य युद्ध में डायनों की जीत होने का दावा किया गया है। मंडी के सेहली में माता बगलामुखी मंदिर में आयोजित जाग में यह घोषणा की गयी है।

वहीं माता चतुर्भुजा मंदिर जोगिन्दर नगर की ओर से देवताओं की जीत की घोषणा की गई है। SDM जोगिन्दर नगर की और से इस बार लागत में लगाए गए लोगों की सूची जारी की गयी है जो इस पोस्ट में नीचे दी गयी है।

(चूकिं पहली खबर में पहले ही देवों और डायनों के बीच बराबरी होने और शिख पाथा से नतीजा निकलने की बात कही गयी थी अत: jogindernagar.com किसी नतीजे के पुष्टि नहीं करता और यह फ़ैसला पाठकों के विवेक पर छोड़ता है।)

जानकारी के अनुसार भाद्रपद माह में 3-3 युद्ध देवताओं और डायनों ने जीते हैं जबकि घोघरधार में हुआ अंतिम युद्ध बराबरी पर रहा। इसके बाद परंपरा के अनुसार हार-जीत का फ़ैसला शिख पाथा (अनाज) से हुआ जिसे डायनों ने जीत कर इस पूरे युद्ध में जीत हासिल की है।

लागत में लगाए गए लोगों की सूची

जोगिन्दर नगर क्षेत्र से लागत में लगाए गये लोगों की सूची SDM जोगिन्दर नगर की और से जारी हुई है जो इस प्रकार से है।

पढ़ें: घोघरधार- जहां पर देवताओं और डायनों के बीच हर साल होता है युद्ध

घोघरधार- जहां पर देवताओं और डायनों के बीच हर साल होता है निर्णायक युद्ध
घोघरधार- जहां पर देवताओं और डायनों के बीच हर साल होता है निर्णायक युद्ध

ग़ौरतलब देवताओं और डायनों के बीच होने वाले युद्ध का ऋषि पंचमी और गणेश चतुर्थी को को देवी देवताओं के गुर या पुजारी बताते हैं। जोगिन्दर नगर से २५ किमी दूर स्थित माता चतुर्भुजा मंदिर में भी इस युद्ध का परिणाम सुनाया जाता है।

अगर देवताओं की जीत हो तो सारा साल सुखमय रहता है, लेकिन फसलों के लिए अच्छा नहीं होता है। वहीं  अगर डायनों के जीतने पर जान-माल का नुक़सान होता है, जबकि फसल अच्छी होती है।

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