मौसम की देवी माँ सुरगणी करती है सबका भला

जोगिन्दरनगर : जोगिन्दरनगर उपमंडल के तहत बीड़ रोड़ से 12 किलोमीटर की दूरी पर सिकंदर धार में ऐहजू -बसाही सड़क के किनारे स्थित है माँ सुरगणी का भव्य मंदिर. माँ का यह दरबार रोपड़ी गाँव के पास एक सुन्दर पहाड़ी में सजा है. माँ के मंदिर से लडभड़ोल और जोगिन्दरनगर क्षेत्र का दीदार आँखों को ठण्डक प्रदान करता है. रोपड़ी गाँव के निवासी रोशन लाल ठाकुर के अनुसार माँ सुरगणी मंदिर का इतिहास काफी पुराना है.

नवनिर्मित माँ सुरगनी मंदिर

मौसम की देवी है माँ सुरगणी

माँ सुरगणी की पूजा मूलत: मौसम की देवी के रूप में की जाती रही है. स्थानीय लोगों के अनुसार जब कभी कई दिनों तक वर्षा नहीं होती थी तो सूखे से निपटने के लिए मनौती मांगते थे और वर्षा होने पर बकरी की बलि दी जाती थी. देवी स्थान से कुछ ही दूरी पर सामूहिक भोज का भी आयोजन किया जाता था.

चाँदनी गाँव के लोग थे पुजारी

कहते हैं कि इस मंदिर में पूजा अर्चना की जिम्मेवारी टिकरू पंचायत में स्थित चाँदनी गाँव के लोगों की थी. कालान्तर में चाँदनी गाँव दूर होने के कारण लोगों का आना जाना कम हो गया और इस मंदिर में पूजा की रस्म निभाने की जिम्मेवारी रोपड़ी गाँव के लोगों तक ही सीमित रह गई.

स्व:गुरी सिंह ने किया था मंदिर निर्माण

कहते हैं कि सन 1984 में स्व: गुरी सिंह ने अपनी सेवानिवृति के बाद यहाँ मंदिर का निर्माण करवाया था लेकिन पूजा अर्चना का क्रम मंदिर में अभी भी नियमित नहीं था.

इन लोगों का भी रहा अहम योगदान

माँ सुरगणी के मंदिर को निर्माण कार्य में कई लोगों का भी सहयोग रहा है. स्थानीय निवासी रोशन लाल राणा, दुनी चंद राणा, गोपाल राणा,ज्ञान चंद नचवाल, हुक्म सिंह,संजय कुमार, ओम प्रकाश नचवाल, सुरेश बरवाल, सतीश बरवाल और उनके पिता तेज सिंह, विजय बरवाल, भूरी सिंह सकलानी,धनी राम बरवाल, लाला राम,स्व: लाल सिंह रांगड़ा,गाँव मोरडूघ के सभी लोग ओम प्रकाश चौहान, ज्ञान चंद, प्यार चंद चौहान,सुरेश चौहान, रमेश चौहान,मिलाप चौहान आदि अन्य कई भक्तों का भी योगदान मिला जिस कारण माँ का यह मंदिर भव्यता पा सका है.

हर वर्ष लगते हैं मेले

हर वर्ष माँ सुरगणी मंदिर में माँ के दरबार में तीन दिन तक चैत्र मेलों का आयोजन किया जाता है. शप्तशती का पाठ करवाया जाता है तथा भंडारे का भी आयोजन किया जाता है. मेलों में सभी लोगों का योगदान मिलता है. मेलों में कई खेलकूद प्रतियोगिताओं के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है. भारी संख्या में भक्तजन मेलों की शोभा बढ़ाते हैं. “जय माँ सुरगणी”

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