जोगिन्दरनगर से कुछ ही दूरी पर मंडी और काँगड़ा जिले की सीमा में मंडी -पठानकोट सड़क में एहजू गाँव के ठीक ऊपर सुन्दर पहाड़ी में माँ माहेश्वरी देवी का मंदिर स्थित है. इस मंदिर के पास राजा के समय का एतिहासिक किला भी है जिसके प्रमाण मंदिर के आसपास मौजूद हैं. इस मंदिर की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है.
यहाँ है एतिहासिक किला
इस मंदिर के चारों ओर से चीड़ के घने वृक्ष हैं. सुन्दर पहाड़ी में स्थित यह मंदिर राजा के समय का है. यहाँ एक ऐतिहासिक किला भी है. यहाँ राजाओं के समय के दो गढ़ भी मौजूद हैं जिसके कारण माँ को गढ़ वाली माँ के नाम से जाना जाता है. लेकिन आज यह किला खंडहर की कगार पर है.
दिलचस्प है मंदिर की कहानी
इस मंदिर की कहानी भी दिलचस्प है. एक बार की बात है एक ब्राह्मण जिसका नाम मनी राम था उसे स्वप्न में देवी ने बताया कि वह धरती में मूर्ति के रूप में गड़ी है तथा उसकी इच्छा है कि उसे वहां से निकाल कर मंदिर में स्थापित किया जाए.
जमीन में गड़ी मिली माँ की मूर्ति
अगली बार पंडित मनी राम ने स्वप्न के बार में गाँव वालों को बताया. उसके बाद गाँव वाले बताये गए स्थान पर गए तथा बहुत ही जल्द उन्होंनें देवी को जमीन के अंदर ढूँढ लिया. उन्होंनें देवी की स्थापना की और पूजा अर्चना दोबारा शुरू की.उसके बाद मंदिर का निर्माण किया गया था वहां राजा के समय दो गढ़ भी हैं इसी कारण माँ को गढ़वाली माँ के नाम से भी जाना जाता है.
धौलाधार का दिखता है सुंदर नज़ारा
इस मंदिर से चारों ओर का नज़ारा बहुत ही सुन्दर दिखता है. पैराग्लाइडिंग के लिए विश्व विख्यात सुन्दर घाटी, बीड़ भी यहाँ से दिखाई देती है. लडभड़ोल क्षेत्र का नज़ारा भी यहाँ से दिखाई देता है.
नवरात्रों में होती है भीड़
नवरात्रों में यहाँ खूब भीड़ होती है तथा श्रद्धालु माँ की पूजा अर्चना करने के साथ ही आशीर्वाद लेकर धन्य हो जाते हैं. इस मंदिर में पहुँचने के लिए मंडी -पठानकोट सड़क मार्ग में एहजू नामक स्थान से पैदल रास्ता है. माँ के जयकारों के साथ रास्ता कब कट जाता है पता ही नहीं चलता. जय माता दी.