जोगिंदर नगर- अवलोकन, इतिहास और बुनियादी ढांचा

जोगिंदर नगर नाम का छोटा और अति-सुन्दर शहर हिमालय पर्वतमाला के उत्तर पश्चिमी छोर पर स्थित है. यह शहर चारों ओर से पहाड़ों से घिरी जोगिंदर नगर घाटी के उत्तर पूर्वी छोर पर स्थित है. जोगिंदर नगर समुद्र तल से 1,010 मीटर (3,314 फुट) की ऊंचाई पर स्थित है

वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की नौ तहसीलों में से एक जोगिंदर नगर (जोगिन्दर नगर, जोगेन्द्र नगर) को पहले सकराहटी नाम से जाना था। मण्डी के प्रसिद्ध राजा जोगिन्द्रसेन के नाम पर इस नगर का नाम जोगिंदर नगर पड़ा। जोगिंदर नगर एशिया का एक ऐसा शहर है जहाँ तीन पनबिजली गृह हैँ अतः यह शहर विद्युत शहर के नाम से भी जाना जाता है।

सर उपाधि से सम्मानित मंडी के राजा जोगिन्द्र सेन की एक पेंटिंग, जिनके नाम पर सकराटी गाँव का नाम जोगिंदर नगर पड़ा
सर उपाधि से सम्मानित मंडी के राजा जोगिन्द्र सेन की एक पेंटिंग, जिनके नाम पर सकराटी गाँव का नाम जोगिंदर नगर पड़ा

सन 1925 में राजा जोगिन्द्रसेन ने अंग्रेज ईँजीनियर कर्नल बैटी के सहयोग से सकराहटी गाँव के पास पानी से बिजली पैदा करने के लिए विद्युत गृह बनाने की योजना बनाई। कर्नल बैटी ने अपनी टीम के साथ पहाड़ी के दूसरी और स्थित बरोट की ऊहल नदी से कई किलोमीटर दूर जोगिंदर नगर तक पानी लाने के लिए सुरँग बनाई। इस सुरंग में पाईपलाइन बिछा कर पानी शानन लाया गया जहाँ पर बिजली घर बना है. शानन से बरोट तक पहाड़ी के उपर से आवागमन और निर्माण सामग्री और मशीनरी की ढुलाई के लिए ट्राली लाइन का निर्माण किया गया। बाद में शानन के पास विद्युत गृह तैयार किया।

ब्रिटेन से आयातित भारी मशीनेँ लाने के लिए पठानकोट से जोगिंदर नगर के शानन तक संकरी रेलवे लाईन (नैरोगेज लाईन) बिछाई गई। शानन से बरोट तक सामान ले जाने के लिए लोहे के रस्सों की सहायता से चलने वाली ट्रॉली के लिए ट्रॉली मार्ग बनाया गया। बरोट में एक रिज़र्वायर (Reservior) का निर्माण किया गया। 1932 मेँ विद्युत गृह का निर्माण पूरा होने पर जोगिन्द्र नगर को देश और विदेश में लोकप्रियता मिली। यह पानी से बिजली बनाने वाली एक साथ तीन पनबिजली परियोजनाओं वाला एशिया का एक-मात्र शहर है.

जोगिन्द्र नगर के शानन (प्रथम चरण – first stage) में उत्तर भारत की यह एकमात्र परियोजना है जो एक ही समय मेँ पँजाब व दिल्ली को विद्युत प्रदान करता है। शहर की अर्थव्यवस्था को तब और बढ़ावा मिला जब शानन विद्युत गृह के ही पानी से बस्सी मेँ 1970 मेँ विद्युत गृह बना। यह देश की सबसे कम लागत मेँ बनने वाली परियोजना है। 100 मैगावाट की ऊहल चरण तृतीय का निर्माण कार्य मच्छयाल नामक स्थान मेँ प्रगति पर है। प्रथम विद्युत गृह के निर्माण के तुरँत बाद निर्माण कार्य मेँ लगे हजारोँ मजदूरोँ के पलायन के बाद शहर के व्यवसाय को बड़ा धक्का लगा।

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