कोटरोपी में लैंडस्लाइड में HRTC की दो बसों के दबने के कारण जहाँ 48 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीँ खतरा अभी टला नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो पहाड़ी के नीचे बसे 4 गाँव पर अभी भी खतरे के काले बादल मंडरा रहे हैं.
दरअसल पहाड़ी दरकने के बाद यहां पर मलबे का बाँध बन गया है जिसके वजह से तीन नालों का पानी जमा होने से पहाड़ी से 50 मीटर नीचे दो झीलें बन गई हैं। इन झीलों में जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।
अमर उजाला की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय वाशिंदों के अनुसार कोटरोपी नाले की रेंज कोटरोपी, सराज बागला, रोपा गडवान तक है। यदि यहां पर फिर इस तरह के भूस्खलन एक और घटना हुई तो बड़े पैमाने पर तबाही मच सकती है।
दरअसल जहां पर पहाड़ी दरकी है, काहिका उत्सव का आयोजन स्थल उसके साथ ही है। जानकारी के अनुसार यहां पर काफी प्राकृतिक जलस्रोत हैं, जिनसे लगातार पानी बह रहा है. इसके साथ ही दो अन्य नालों का पानी भी यहां पर जमा हो रहा है।
हालांकि, प्रशासन ने इन गांवों में अलर्ट जारी कर दिया है लेकिन इन गांव के बाशिंदों को यहां से शिफ्ट करने के लिए प्रशासन को कोई जगह नहीं मिल पाई है।
अलर्ट तो किया पर ठिकाना नहीं दिया
भडवान गांव के वार्ड मेंबर नारायण सिंह, ज्ञान सिंह, भगत राम, लाल सिंह, परम सिंह, देवी राम, भादर सिंह, प्रकाश, शेष राम व अन्य परिवारों का कहना है कि प्रशासन ने अलर्ट तो जारी कर दिया लेकिन रहने को ठिकाना नहीं दिया।
घर में रहना अब खतरे से खाली नहीं है। उनके पास जंगल में रहने के सिवा कोई और चारा नहीं है। प्रशासन ने उन्हें कोई जगह नहीं सुझाई है।
पानी जमा होने पर किया अलर्ट: डीसी
डीसी मंडी संदीप शर्मा ने कहा कि कोटरोपी नाले में पानी जमा होने के चलते इन गांवों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। कोटरोपी के तीन परिवारों को खुंड स्कूल और रवां गांव के सात परिवारों को अंबेडकर भवन और पंचायत भवन में शिफ्ट किया गया है।