जोगिन्दरनगर : हिमाचल को देव भूमि भी कहा जाता है. यहाँ महात्माओं के तप के कारण कई ऐसे स्थल हैं जहाँ शांति और आध्यात्मिकता का केंद्र बने हुए हैं. ऐसा ही एक स्थान जिला काँगड़ा के बीड़ नामक स्थान से कुछ ही दूरी पर धौलाधार की सुन्दर पहाड़ियों के आंचल में शांत वातावरण में स्थित है महात्मा जी की कुटिया. यहाँ की प्राकृतिक छटा और कुटिया माहौल मन को आनन्दित कर देता है.
शांति का होता है अनुभव
इस स्थान पर पाँव रखते ही शांति का अहसास होने लगता है तथा महात्मा श्री विशुद्धानन्द सरस्वती जी महाराज के दर्शन करते ही मन प्रफुल्लित हो उठता है. महात्मा जी अब काफी वृद्ध हो चुके हैं लेकिन उम्र के इस पड़ाव में उनके चेहरे का तेज़ देखते ही बनता है. यह महात्मा जी के तप का ही फल है.
इस स्थान में आने का तय है समय
इस महान विभूति से मिलने वाले भक्तों के आने -जाने का समय तय है. सुबह 11 बजे से लेकर 12 बजे तक तथा शाम को 3.30 से 4.30 तक मिलने का समय है. यहाँ भक्तों को समय का पालन करना पड़ता है. महात्मा जी की सेवा में सेवादार कार्य में लगे हुए हैं.
सभी को मिलता है प्रसाद
भक्तों के यहाँ पहुँचने के पश्चात महात्मा जी अपने हाथों से सभी भक्त जनों को प्रसाद बांटते हैं. प्रसाद ग्रहण करने के बाद भक्त वहां समय के अनुसार मनन और विश्राम कर सकते हैं.
आध्यात्मिकता की लगती है पाठशाला
यहाँ देश विदेशों से लोग आध्यात्मिकता की खोज में आते हैं. यहाँ का शांत वातावरण आध्यत्मिकता की खोज में आने वालों को निराश नहीं करता. बाहर से आने वाले भक्तों के लिए यहाँ कमरों का निर्माण किया गया है जहाँ वे जब तक चाहे रह सकते हैं.
कई मंदिर हैं यहाँ
इस स्थान पर सराय के साथ साथ कई मंदिरों का निर्माण किया गया है जिसमें दुर्गा माँ,काली माँ,भगवान भोले मंदिर प्रमुख हैं. जन्माष्टमी के अवसर पर यहाँ भंडारा भी लगता है.
कैसे पहुंचें
इस स्थान में पहुँचने के लिए कांगड़ा और मंडी की तरफ से आने वाले भक्त ऐहजू स्थित बीड़ रोड़ में उतरने के बाद सीधे बीड नामक स्थान में पहुंचें. यहाँ से दो सड़क मार्ग एक बीलिंग और एक श्री बाबा जी के आश्रम की ओर जाता है.