हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने महत्त्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए कहा है कि लंबे समय से एक ही स्थान पर टिके कर्मचारियों के तबादले डीओ नोट पर करने में कोई बुराई नहीं है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने याचिकाकर्ता संजय कुमार की याचिका को खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी।
कोर्ट की इस व्यवस्था से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का स्थानांतरण रद्द करने का यह कोई आधार नहीं है कि स्थानांतरण डीओ नोट के आधार पर किया गया है, क्योंकि कोर्ट का ऐसा मानना है कि याचिकाकर्ता जैसे व्यक्ति, जो किसी तरह से लंबे समय तक एक स्टेशन पर अपनी पोस्टिंग का प्रबंधन करने में सक्षम हैं,
उन्हें स्पष्ट रूप से किसी ऐसे व्यक्ति के हस्तक्षेप के आधार पर स्थानांतरण के माध्यम से हटाया जाना जरूरी हो जाता है, जो इस तथ्य को तबादला आदेश जारी करने वाले सर्वोच्च कार्यकारी के ध्यान में लाता है कि ऐसा कोई व्यक्ति किसी विशेष स्टेशन पर लंबे समय से बैठा हुआ है।
याचिकाकर्ता ने 19 दिसंबर, 2024 के अपने तबादला आदेश को चुनौती दी थी। इसके अनुसार याचिकाकर्ता, जो नगर परिषद सुजानपुर टिहरा में कार्यकारी अधिकारी के रूप में सेवारत है, को नगर परिषद चंबा में स्थानांतरित किया गया है।
याचिकाकर्ता का कहना था कि उसका स्थानांतरण आदेश गलत है, क्योंकि उसे वर्तमान स्टेशन पर अपना सामान्य कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दिए बिना स्थानांतरित किया गया है।
प्रार्थी का कहना था कि उसको अप्रैल, 2023 में सुजानपुर में तैनात किया गया था और अब उसे चंबा स्थानांतरित कर दिया गया है, जो किसी प्रशासनिक आवश्यकता के कारण नहीं, बल्कि राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण हुआ है।
प्रार्थी ने कुछ दूसरी दिक्कतें भी स्थानांतरण आदेश के विरोधस्वरूप कोर्ट के समक्ष रखी थीं। सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट को बताया कि लगभग 13 दिनों के छोटे कार्यकाल को छोड़कर याचिकाकर्ता 27 अगस्त, 2019 से सुजानपुर टिहरा में कार्यकारी अधिकारी के रूप में सेवा दे रहा है, इसलिए याचिकाकर्ता ने सुजानपुर टिहरा में अपना सामान्य कार्यकाल पहले ही पूरा कर लिया है।
अत: स्थानांतरण के आदेश में कोई कमी नहीं है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता चार साल और चार महीने से अधिक समय से सुजानपुर टिहरा में सेवा कर रहा है और चूंकि उसके पास केवल सुजानपुर टिहरा में सेवा करने का कोई निहित अधिकार नहीं है, इसलिए रिट याचिका में कोई योग्यता नहीं है।
कोर्ट ने डीओ नोट पर आधारित तबादले आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि किसी कर्मचारी के एक ही स्थान पर लंबे समय तक बने रहने के तथ्य को उजागर कर उसका स्थानांतरण करवाना कोई गलत तरीका नहीं है।