शानन परियोजना पर तीसरे राज्य की नो एंट्री : सुप्रीम कोर्ट

मंडी जिला के जोगिन्दरनगर स्थित शानन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में पड़ोसी राज्य हरियाणा को झटका लगा है। पंजाब और हिमाचल के बीच चल रहे शानन परियोजना विवाद में तीसरे राज्य के तौर पर हरियाणा ने कूदने की कोशिश की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा की याचिका को खारिज कर दिया है और मामले की सुनवाई 24 अप्रैल को तय की है।

अब इस केस में हिमाचल और पंजाब के बीच ही एडमिशन और डिनाइल को लेकर बहस होगी। शानन परियोजना केस में हिमाचल ने जो तर्क रखा है, उसका जवाब अब तक पंजाब नहीं दे पाया है।

मंडी के राजा और केंद्र सरकार के बीच लीज की अवधि खत्म होने के बाद हिमाचल सरकार ने इस प्रोजेक्ट को वापस लौटने को कहा था। इसके खिलाफ पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई है और तर्क दिया है कि शानन प्रोजेक्ट पंजाब रि-ऑर्गेनाइजेशन एक्ट के तहत मिला था, इसलिए यह सिर्फ लीज से गवर्न नहीं हो सकता।

हिमाचल सरकार ने पंजाब सरकार की याचिका के आधार को ही रद्द करने का आवेदन डाला हुआ है। हिमाचल ने क्लेम किया है कि शानन पावर प्रोजेक्ट का एरिया पंजाब से ट्रांसफर हुई टेरिटरी में नहीं आता, इसलिए इस क्षेत्र में पंजाब री-ऑर्गेनाइजेशन एक्ट लागू नहीं होगा।

इसी एक्ट के आधार पर पंजाब ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के 131वें अनुच्छेद के तहत याचिका दायर की थी। हिमाचल सरकार ने सिविल प्रोसीजर कोड के आर्डर 07 रूल 11 के तहत पंजाब की इस याचिका के औचित्य पर सवाल उठाए हैं।

यह लीज एग्रीमेंट 02 मार्च, 2024 को पूरा हो गया है। हिमाचल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि पंजाब इस लीज एग्रीमेंट में भी सिग्नेटरी नहीं है, इसलिए भूमि के असल मालिक के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद का इस्तेमाल करते हुए केस नहीं किया जा सकता।

अब तक पंजाब हिमाचल के तर्कों का जवाब नहीं दे पाया है। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि हरियाणा को बीच में लाया गया था।

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