9 मार्च को सूर्यास्त से लेकर रात्रि 11:26 बजे तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

आप सभी को रंगों के पर्व और आपसी भाईचारे के प्रतीक होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. इस वर्ष  सोमवार 9 मार्च को होलिका दहन होगा और 10 मार्च मंगलवार को रंगों का त्योहार मनाया जाएगा। नौ मार्च को होलिका दहन का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल से मध्यरात्रि से कुछ समय पूर्व तक है। प्रदोष काल सूर्यास्त 6:42 बजे से लेकर निशामुख सोमवार 11 बजकर 26 मिनट तक है। होलिका दहन के दिन सुबह 6:08 मिनट से लेकर दोपहर 12:32 बजे तक भद्रा है। भद्रा को विघ्नकारक माना गया है।

जोगिन्दरनगर क्षेत्र में होली की धूम

वहीँ जोगिन्दरनगर उपमंडल के तहत होली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. रविवार और सोमवार को क्षेत्र में होली बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है. रविवार को बल्ह पंचायत के जोल,दरोबड़ा,गलू आदि गाँवों के साथ साथ रोपड़ी कलैहड़ू पंचायत तथा लड भड़ोल क्षेत्र के साथ अधिकतर गाँवों में होली की धूम है वहीँ कई गाँवों में सोमवार को होली मनाई जाएगी तथा होलिका दहन भी किया जाएगा.

राशि के अनुसार डालें आहुति

मेष और वृश्चिक राशि के लोग गुड़ की आहुति दें।
वृष राशि वाले होलिका में चीनी की
मिथुन और कन्या राशि के लोग कपूर की
कर्क के लोग लोहबान की
सिंह राशि के लोग गुड़ की
तुला राशि वाले कपूर की
धनु और मीन के लोग जौ और चना की
मकर व कुंभ वाले तिल कr होलिका दहन में आहुति दें।

ऐसे करें पूजा

होलिका दहन से पहले विधि विधान के साथ होलिका की पूजा करें। इस दौरान होलिका के सामने पूर्व या उतर दिशा की ओर मुख करके पूजा करने का विधान है। पहले होलिका को आचमन से जल लेकर सांकेतिक रूप से स्नान के लिए जल अर्पण करें। इसके पश्चात कच्चे सूत को होलिका के चारों और तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटना है। सूत के माध्यम से उन्हें वस्त्र अर्पण किये जाते हैं। फिर रोली, अक्षत, फूल, फूल माला, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें। पूजन के बाद लोटे में जल लेकर उसमें पुष्प, अक्षत, सुगन्ध मिला कर अघ् र्य दें। इस दौरान नई फसल के कुछ अंश जैसे पके चने और गेंहूं, जौं की बालियां भी होलिका को अर्पण करने का विधान है।

 

होलिका दहन जरूर करें

  • पुराणों और शास्त्रों में चार सिद्ध रात्रि में से होलिका दहन वाली रात को भी सिद्ध रात्रि माना गया है। नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से बचने के लिए होलिका दहन को सबसे अच्छा माना जाता है। इस दिन किए गए प्रयोग से मनचाहा फल मिलता है। नवग्रह जनित पीड़ा से निवारण के लिए अपनी राशि के अनुसार होलिका दहन में लकड़ी जरूर अर्पित करनी चाहिए। फिर होलिका के सात फेरे लगाना चाहिए ।
  • मेष और वृश्चिक राशि के लोग होलिका दहन के समय खैर की लकड़ी
  • वृष और तुला राशि वाले होलिका दहन वाले दिन गूलर की लकड़ी
  • मिथुन और कन्या राशि के लोगों के लिए अपामार्ग की लकड़ी
  • धनु और मीन राशि के लोगों के लिए पीपल की लकड़ी होलिका में डालेंफिर राशि के अनुसार होलिका में द्रव्यों की आहुति डालें ।

ऐसे कम होंगी मुश्किलें

शरीर की उबटन को होलिका में जलाने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
सफलता प्राप्ति को होलिका दहन स्थल पर नारियल, पान तथा सुपारी भेंट करें।
गृह क्लेश से निजात पाने और सुख-शांति के लिए होलिका की अग्नि में जौ-आटा चढ़ाएं।
भय और कर्ज से निजात पाने के लिए नरसिंह स्रोत का पाठ करना लाभदायक होता है।
होलिका दहन के बाद जलती अग्नि में नारियल दहन करने से नौकरी की बाधाएं दूर होती हैं।
घर, दुकान और कार्यस्थल की नजर उतार कर उसे होलिका में दहन करने से लाभ होता है।
होलिका दहन के दूसरे दिन राख लेकर उसे लाल रुमाल में बांधकर पैसों के स्थान पर रखने से बेकार खर्च रुक जाते हैं।
लगातार बीमारी से परेशान हैं तो होलिका दहन के बाद बची राख मरीज़ के सोने वाले स्थान पर छिड़कने से लाभ मिलता है।
=बुरी नजर से बचाव के लिए गाय के गोबर में जौ, अरसी और कुश मिलाकर छोटा उपला बना कर इसे घर के मुख्य दरवाज़े पर लटका दें।

शादी नहीं हो रही तो करें यह उपाय

जिन जातकों की शादी नहीं हो रही है और विलंब हो रहा है तो होली के दिन शिव मंदिर में पूजा करें। इसके साथ ही शिवलिंग पर पान, सुपारी और हल्दी की गांठ भी अर्पित करें। शादी की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए होलिका दहन के दौरान पांच सुपारी, पांच इलायची, मेवे, हल्दी की गांठ और पीले चावल लें जाए और इसकी पूजा कर इसे घर में देवी के सामने रख दें। ऐसा करने से शादी में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती है और जल्द ही विवाह के योग बन जाते हैं। दांपत्य जीवन में शांति के लिए होली की रात उत्तर दिशा में एक पाट पर सफेद कपड़ा बिछा कर उस पर मूंग, चने की दाल, चावल, गेहूं, मसूर, काले उड़द एवं तिल के ढेर पर नव ग्रह यंत्र स्थापित करें। इसके बाद केसर का तिलक कर घी का दीपक जला कर पूजन करें।