आप सभी को रंगों के पर्व होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. होली एक ऐसा त्यौहार है जिसका इंतजार हर किसी को रहता है. होली से ही बसंत ऋतु का आगमन हो जाता है. होलिका दहन के अगले दिन होली मनाई जाती है और लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं. इस साल होलिका दहन आज 17 मार्च को किया जाएगा और एक दिन बाद यानी 18 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त – होलिका दहन इस साल गुरुवार, 17 मार्च 2022 को किया जाएगा. होलिका दहन की पूजा का शुभ मुहूर्त 9 बजकर 20 मिनट से 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. ऐसे में लोगों को होलिका दहन की पूजा के लिए लगभग एक घंटे का ही समय मिलेगा.
होलिका दहन पूर्णिमा तिथि में सूर्यास्त के बाद करना चाहिए लेकिन अगर इस बीच भद्राकाल हो तो होलिका दहन नहीं करना चाहिए. भद्राकाल समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन करना चाहिए. हिंदू शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ माना गया है. ऐसी मान्यता है कि भद्राकाल में किया गया कोई भी काम सफल नहीं होता और उसके अशुभ परिणाम मिलते हैं.
होली से जुड़ी पौराणिक कथा – पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर राजा था. उसने घमंड में चूर होकर खुद के ईश्वर होने का दावा किया था. इतना ही नहीं, हिरण्यकश्यप ने राज्य में ईश्वर के नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी. लेकिन हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर भक्त था.
वहीं, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग में भस्म न होने का वरदान मिला हुआ था. एक बार हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए. लेकिन आग में बैठने पर होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया. और तब से ही ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में होलीका दहन किया जाने लगा.
एक अन्य मान्यता के अनुसार होली का त्यौहार राधा-कृष्ण के पावन प्रेम की याद में मनाया जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार बाल-गोपाल ने माता यशोदा से पूछा था कि वो राधा की तरह गोरे क्यों नहीं हैं. इस पर यशोदा ने मजाक में कहा कि राधा के चेहरे पर रंग मलने से राधाजी का रंग भी कन्हैया की ही तरह हो जाएगा. इसके बाद कान्हा ने राधा और गोपियों के साथ रंगों से होली खेली और तब से यह रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जा रहा है.