शिमला (विकास शर्मा): राजधानी शिमला की जाखू पहाड़ी पर मौजूद है त्रेतायुग का हनुमान मंदिर. जहां विशालकाय बजरंगबली जी की मूर्ति स्थापित है. भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर आस्था का मुख्य केंद्र है. यह मंदिर शिमला की सबसे ऊंची चोटी पर समुद्र तल से करीब 8048 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. घनी पहाड़ियों और देवदार के वृक्षों से जाखू में स्थित हनुमान मंदिर एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है. जहां देश-विदेश से लोग दर्शन करने आते हैं.
ये जगह सीधे रामायण काल से जुड़ी है. मान्यता है कि राम-रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी के मूर्छित हो जाने पर संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय की ओर आकाश मार्ग से जाते हुए हनुमान जी की नजर यहां तपस्या कर रहे यक्ष ऋषि पर पड़ी. बाद में इसका नाम यक्ष ऋषि के नाम पर ही यक्ष से याक, याक से याकू, याकू से जाखू तक बदलता गया. हनुमान जी विश्राम करने और संजीवनी बूटी का परिचय प्राप्त करने के लिए जाखू पर्वत के जिस स्थान पर उतरे वहां आज भी उनके पद चिह्नों को संगमरमर से बनवा कर रखा गया है.
यक्ष ऋषि से संजीवनी बूटी का परिचय लेने के बाद वापस जाते हुए उन्होंने मिलकर जाने का वचन यक्ष ऋषि को दिया और द्रोण पर्वत की तरफ चल पड़े. मार्ग में कालनेमि नामक राक्षस के कुचक्र में फंसने के कारण समय के अभाव में हनुमान जी छोटे मार्ग से अयोध्या होते हुए चल पड़े. जब वह वापस नहीं लौटे तो यक्ष ऋषि व्याकुल हो गए. हनुमान जी ने उन्हें दर्शन दिया. उसके बाद इस स्थान पर हनुमान जी की स्वयंभू मूर्ति प्रकट हुई. जिसे लेकर यक्ष ऋषि ने यहीं पर हनुमान जी का मंदिर बनवाया.
आज यह मूर्ति मंदिर में स्थापित है. यहां आने वाले भक्तों का कहना है कि उन्हें यहां आकर उनकी मुरादें भी पूरी होती है. जाखू मंदिर के प्रांगण में ही अब हनुमान जी की 108 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा भी स्थापित की गई है. जाखू मंदिर में सदियों से बंदरों की टोलियां रहती हैं. लेकिन बंदरों से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाए तो ही अच्छा है.
स्रोत : पंजाब केसरी