बैजनाथ : लगातार हो रही भारी बारिश से जिला काँगड़ा के बैजनाथ में स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर भी अछूता नहीं रहा है। मंदिर के गर्भ गृह में भी रिसाव शुरू हो गया है, जिसके चलते ऐतिहासिक धरोहर पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं।
साथ में मंदिर आने वाले शिव भक्तों की आस्था भी आहत हो रही है। शिव मंदिर की हालत दिन-प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है। शिव मंदिर के चारों तरफ स्थापित मूर्तियां भी खंडित हो रही है।
कुछ साल पहले पुरातत्त्व विभाग ने मंदिर के बाहर लगी मूर्तियों के ऊपर शीशे के फ्रेम लगा कर उन्हें बचाने के प्रयास किए थे, मगर वह सभी फ्रेम टूट चुके है।
इस तरफ विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है। यही नहीं, जब भी लगातार भारी बारिश होती है, तो मंदिर के गर्भ गृह में रिसाव शुरू जाता है।
बरसात के मौसम में हर वर्ष पुरातत्त्व विभाग मुआयना करता है और फिर वह कार्य ठंडे बस्ते में चला जाता है। बैजनाथ शिव मंदिर के अंदर इतना पानी इक_ा होना ओर उस पानी के रिसाव को न रोक पाना कहीं न कहीं पुरातत्त्व विभाग के उपर सवालिया निशान खड़ा करता है।
गौर हो कि काफी बरसों पहले भी मंदिर के गर्भ गृह में रिसाव शुरू हो गया था उस समय भी पुरातत्त्व विभाग ने पानी के इस रिसाव को रोकने के प्रयास किए थे।
कुछ साल तो यह रिसाव रुक गया, मगर अब दोबारा से रिसाव शुरू हो गया। -एचडीएम
मंदिर परिसर के अंदर भी कई मूर्तियां खंडित हो चुकी है, जिसकी मुख्य वजह लोग रोजाना इन मूर्तियों पर पानी डाल रहे हैं।
वैसे तो यहां पर चेतावनी के तौर पर बोर्ड लगा रखे हैं कि शिवलिंग के अलावा बाकी मूर्तियों पर पानी डालना वर्जित है इसके बावजूद लोग मूर्तियों पर रोज पानी उबेर रहे है।
अगर भक्तों को जल्द न रोका गया तो आने वाली पीढिय़ा शायद ही इनके दर्शन कर पाएंगी।
मुख्य पुजारी सुरेंद्र आचार्य के अनुसार बैजनाथ शिव मंदिर में शिवलिंग स्वयंभू है तथा यह अर्धनारीश्वर रूप में है इस ऐतिहासिक शिव मंदिर का निर्माण त्रेता युग में किया गया था। उसके बाद द्वापर युग में पांडवों ने इसे भव्य रूप दिया।
आठवीं सदी में इस मंदिर का जीर्णोंद्धार किया गया था। जब दो बनियों भाइयों आहुक तथा मन्युक को देव धन मिला था तो इसी धन से उन्होंने इस मंदिर का जीर्णोंद्धार करवाया था।
जब 1905 में समस्त जिला कांगड़ा में भयानक भूकंप आया था तब भी इस मंदिर को भूकंप की वजह से नुकसान नहीं हुआ था। जिला कांगड़ा का शायद यह इकलौता ही है ऐसा धार्मिक स्थल था जो उस समय इस भयानक भूकंप की चपेट में नहीं आया ।
पुरातत्त्व विभाग के जिला अधिकारी प्रशांत डोगरा का कहना है कि उन्होंने इंजीनियर के साथ अपनी टीम को लेकर बैजनाथ शिव मंदिर का दौरा कर यहां पर बारिश की वजह से हो रहे भारी रिसाव का जायजा लिया है।
उन्होंने यहां पर कार्यरत पुरातत्त्व विभाग के कर्मचारियों को आदेश दिए की अति शीघ्र शिव मंदिर के अंदर होने वाले इस रिसाव का कारण अति शीघ्र बताया जाए।
प्रशांत डोगरा ने यह भी बताया कि जैसे ही बरसात कम हो जाती है, मरम्मत कार्य शुरू कर दिया जाएगा। साथ ही गर्भ गृह में बनी हुई पानी की जलेरी की भी मरम्मत की जाएगी ।
पढ़ें मंदिर का इतिहास
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