जोगिन्दरनगर : हिमाचल प्रदेश देवों की भूमि है. यहाँ स्थित हर मंदिर की कोई न कोई आश्चर्य से भरी लीलाएं हैं . ऐसा ही एक मंदिर है श्री बाबा कमलाहिया जो मंडी जिला मुख्यालय से मात्र 101 किलोमीटर दूर स्थित है. रोमांच से भरपूर यह स्थान तहसील सरकाघाट के धर्मपुर से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहाँ स्थित एतिहासिक कमलाहगढ़ जोकि 4500 फीट की ऊँचाई पर स्थित है के शिखर पर विराजमान हैं श्री बाबा कमलाहिया.
जम्मू से चलकर यहाँ पहुंचे थे श्री बाबा
दन्त कथा के अनुसार एक बार श्री बाबा कमलाहिया और श्री बालक नाथ जम्मू के डुग्गर प्रदेश से चलकर हिमाचल की देवभूमि में पहुंचे. देवभूमि में कदम रखते ही दोनों इस तपोभूमि से बहुत प्रभावित हुए. श्री द्योट सिद्ध बाबा बालकनाथ ने हमीरपुर स्थित शाहतलाई नामक जगह पर अपना डेरा डाल दिया .
कमलाहगढ़ की पहाड़ियां देख हुए आकर्षित
वहीं श्री बाबा कमलाहिया पालमपुर की वादियों में से होते हुए सरकाघाट के क्षेत्र मढ़ी के पास पहुंचे. यहाँ कमलाहगढ़ की पहाड़ियों से श्री बाबा बहुत आकर्षित हुए और इस स्थान को अनुकूल समझ कर एक पेड़ के नीचे अपनी तपस्या की धूनी रमाई.
बुढ़िया के घर से लाते थे दूध
श्री बाबा प्रत्येक दिन साथ के गाँव में एक बुढ़िया के घर दूध लेने जाते थे. दिनचर्या की तरह जब एक दिन श्री बाबा दूध लेने बुढ़िया के घर गये हुए थे तो बुढ़िया घास लेनेगई हुई थी. बहुत देर बाद घास लेकर जब बुढ़िया लौटी तो श्री बाबा जी ने देरी का कारण पुछा तो बुढ़िया ने बाबा पर गुस्सा किया और खूब खरी खोटी सुनाई.
जब बुढ़िया को हुआ गलती का अहसास
श्री बाबा बिना दूध लिए ही वहां से लौट गये.थोड़ी देर बाद जब बुढ़िया का गुस्सा शांत हुआ तो बुढ़िया को अपनी गलती का अहसास हुआ. उसने बाबा को ढूँढने का प्रयास किया लेकिन बाबा नहीं मिले.एक बार एक गडरिया कमलाह के शिखर पर अपनी भेड़ बकरियां चराया करता था.
गडरिये ने देखा अद्भुत नज़ारा
समय बीतने के साथ एक दिन गडरिये ने देखा कि एक बकरी पेड़ के नीचे खड़ी होकर दूध की धारा छोड़ रही है. वह इस आश्चर्य से भरी हुई लीला को देखकर पास गया तो उसे वहीँ बकरी के दूध से नहाई हुई पिंडी के दर्शन हुए. गडरिया जानता था कि बाबा कमलाहिया यहाँ तपस्या किया करते थे तथा अब उसे यकीन हो गया कि बाबा ही यहीं समाधिस्थ होकर देव रूप में प्रकट हो गये हैं.
गडरिया करने लगा नित्य पूजा
गडरिया उसी दिन से यहाँ श्री बाबा जी की पूजा करने लगा. श्री बाबा की कृपा से उसकी भेड़ बकरियों में अप्रत्याशित वृद्धि होने लगी. यह बात एक दम से सर्वत्र फ़ैल गई. दूर दूर से भक्त यहाँ आने लगे तथा श्री बाबा के आशीर्वाद से उनकी मनोकामना पूर्ण होने लगी.
यहाँ की श्री बाबा की मूर्तियाँ स्थापित
श्रद्धालुओं ने पेड़ के नीचे एक चबूतरा बना कर यहाँ श्री बाबा की मूर्तियाँ स्थापित कीं.कहते हैं 20-25 साल पहले तक वो वृक्ष यहाँ विराजमान था. वृक्ष के सूख जाने के बाद वृक्ष को काटकर चबूतरे के स्थान पर आधुनिक शैली में मंदिर का निर्माण किया.
आज भी लगता है मेला
आज भी ज्येष्ठ मास के पहले रविवार के दिन श्री बाबा कमलाहिया में मेले का आयोजन बड़ी ही धूमधाम से किया जाता है.
मंदिर पहुँचने का रास्ता
श्री बाबा कमलाहिया मंदिर मंडी से 101 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जिला मंडी की सरकाघाट तहसील में स्थित यह मंदिर धर्मपुर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. धर्मपुर से संधोल या माता सकरैनी मार्ग से मढ़ी तक जाने के बाद वहां से कुछ ही दूरी पर स्थित है यह मंदिर. मढ़ी से सड़क पक्की बन चुकी है तथा मंदिर के लिए बसें भी धर्मपुर से मिल सकती हैं. कुछ देर पैदल पोड़ियों से चलने के बाद आप श्री बाबा कमलाहिया के दर्शन कर पायेंगे.
श्री बाबा की यह कहानी श्री बाबा कमलाहिया मंदिर की सराय में बोर्ड पर लिखित कहानी पर आधारित है.
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