जोगिन्दरनगर : आप सभी को श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. श्री गणेश जी का यह पर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है. माना जाता है कि इसी दिन गणेश जी का प्राकट्य हुआ था. यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश धरती पर आकर अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक गणेश चतुर्थी की पूजा की अवधि, जिसमें गणेश जी धरती पर निवास करते हैं, अनंत चतुर्दशी तक चलती है. इस बार यह पर्व 10 सितंबर, शुक्रवार से आरम्भ हो रहा है.
आरम्भ के प्रतीक हैं श्री गणेश
श्री गणेश जिन्दगी में आरम्भ के प्रतीक हैं. वे शुरुआत के देवता हैं.जब -जब हम किसी लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ते हैं तो पहले कदम पर उनका स्मरण एक ऊर्जा देता है और सच यही है कि हर लक्ष्य में शुरुआत का बड़ा महत्व है.
श्री गणेश पूजा का है बड़ा महत्व
श्री गणेश पूजा का हमारे समाज में सबसे अधिक महत्व है.श्रीगणेश अकेले ऐसे देवता हैं जो भारत के सभी भागों में पूजे जाते हैं.गणेश को शौव,वैष्णव और शाक्त सभी सम्प्रदायों के लोग पूजते हैं. गणेश भारतीय समाज में तरक्की कड़े देवता कहे जा सकते हैं.
ऋग्वेद काल से हो रही पूजा
श्री गणेश की पूजा ऋग्वेद काल से चली आ रही है.घेश की प्रतिष्ठा समाज और राष्ट्र में स्थापित होने के पीछे कई कारण हैं. शाश्त्रों में कहा गया है कि श्री गणेश न केवल ज्ञान बल्कि विज्ञान के भी प्रतीक हैं.गणपति अथर्वशीर्ष में गजानन के स्वरुप का वर्णन है
महाराष्ट्र से हुई गणेशोतस्व की शुरुआत
महाराष्ट्र में जितने भी संत हुए उन्होंनें गणेश पूजा को घर-घर तक पहुँचाया.संत ज्ञानेश्वर से लेकर समर्थ राम दास तक सबने गणपति की उपासना की ओर समाज को यह सन्देश दिया कि गणेश का नाम लेकर शुरू किया गया कोई भी कार्य निष्फल नहीं होता.
ओमकार स्वरूप हैं श्री गणेश
ऐसी मान्यता है कि सृष्टि में एकमात्र ओमकार स्वरूप श्री गणेश जी हैं. गणेश शब्द के मतलब को समझा जाए तो गणेश में जो ‘ग’ शब्द है,उसका मतलब है आत्मज्ञान. ‘ण’ शब्द निर्वाण यानि मुक्ति का प्रतीक है.
विघ्न हर्ता हैं श्री गणेश
श्री गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है.इनकी पूजा के जरिए मानव सभ्यता को यह सन्देश देने की कोशिश की जाती है कि हम उत्साह के साथ अपने कर्म पथ पर आगे बढ़ें और मन में यह विश्वास रखें कि सुखहर्ता गणेश हमारे मार्ग की सभी बाधाओं को दूर करेंगे.
इस प्रकार करें श्री गणेश का पूजन
गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना दोपहर के समय करें. कलश भी स्थापित करें.
लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर मूर्ति की स्थापना करें.
दिन भर जलीय आहार ग्रहण करें अथवा केवल फलाहार करें.
सायंकाल गणेश जी की यथा शक्ति पूजा करें. घी का दीपक जलाएं.
यह करें अर्पित
जितनी आपकी उम्र है उतने लड्डुओं का भोग लगायें. साथ ही दूब भी अर्पित करें.
अपनी इच्छा अनुसार गणेश जी के मन्त्रों का जाप करें.
चन्द्रमा को नीची दृष्टि से अर्घ्य दें, अन्यथा आपको अपयश मिल सकता है.
अगर चन्द्र दर्शन हो गया है तो उसके दोष का उपचार कर लें.
प्रसाद का वितरण करें तथा अन्न-वस्त्र का दान करें.
गणेश जी को दूब और मोदक जरूर अर्पित करें.
पीले वस्त्र और सिन्दूर अर्पित करना शुभ होगा.
गणेश जी को पीले फूलों की या फलों की माला अर्पित करें.
गणेश जी की उपासना जितने भी दिन चलेगी, अखंड घी का दीपक जलता रहेगा.
“जय श्री गणेश”