हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी से 49 किलोमीटर दूर उत्तर में प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण पराशर झील स्थित है. तीन मंजिला पैगोड़ा शैली में बना यह मंदिर ऋषि पराशर को समर्पित है.
राजा बाणसेन ने बनवाया था
यह पराशर झील समुन्द्र तल से 2730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. झील के किनारे आकर्षक पैगोडा शैली में निर्मित मंदिर है, जिसे 14वीं शताब्दी में मंडी रियासत के राजा बाणसेन ने बनवाया था. कला संस्कृति प्रेमी पर्यटक मंदिर प्रांगण में बार-बार जाते हैं.
ऋषि पराशर ने की थी यहाँ तपस्या
कहा जाता है कि जिस स्थान पर मंदिर है वहां ऋषि पराशर ने तपस्या की थी. पिरमिडाकार पैगोडा शैली के गिने-चुने मंदिरों में से एक काठ निर्मित, 12 बरसों में बने, तिमंजिले मंदिर की भव्यता अपने आप में उदाहरण है. पारंपरिक निर्माण शैली में दीवारें चिनने में पत्थरों के साथ लकड़ी की कड़ियों के प्रयोग ने पूरे प्रांगण को अनूठी व अमूल्य कलात्मकता प्रदान की है.
अद्भुत नक्काशी की गई है
मंदिर के बाहरी ओर व स्तंभों पर की गई नक्काशी अद्भुत है. इनमें उकेरे देवी-देवता, सांप, पेड-पौधे, फूल, बेल-पत्ते, बर्तन व पशु-पक्षियों के चित्र क्षेत्रीय कारीगरी के नमूने हैं.गहरे नीले पानी की यह पवित्र झील ऋषि पराशर के नाम से जानी जाती है जहाँ उन्होंनें तपस्या की थी. चारों ओर से बर्फ की पहाड़ियों से घिरी यह झील कुदरत की छटा बिखेरती प्रतीत होती है तथा इस स्थान से नीचे बह रही ब्यास नदी दिखाई पड़ती है. इस स्थान में द्रंग नामक स्थान से पहुंचा जा सकता है .
तैरता टापू है यहाँ
इस मंदिर का निर्माण मंडी रियासत के राजा बाणसेन ने बनवाया था. इस झील में तैरता टापू भी है जो घूमता रहता है. यह कहना उचित नहीं होगा कि इस झील के पानी की गहराई कितनी है. एक तैराक को भी इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है.
मेलों का होता है आयोजन
पराशर झील के निकट हर बरस आषाढ की संक्रांति व भाद्रपद की कृष्णपक्ष की पंचमी को विशाल मेले लगते हैं. भाद्रपद में लगने वाला मेला पराशर ऋषि के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है.
पराशर झील के आस -पास
पंडोह : मंडी से केवल 18 किलोमीटर दूर पंडोह बाँध स्थित है.
शिकारी देवी : यह प्राचीन शिकारी देवी का मंदिर जंजैहली से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह मंदिर अदभुत दृश्यों से भरपूर है.
बरोट : मंडी पठानकोट उच्च मार्ग से 33 किलोमीटर पर यह पिकनिक के लिए उपयुक्त स्थान बरोट स्थित है. यह स्थान ट्राउट मछली के आखेट और रोपवे के लिए प्रसिद्ध है जहाँ पर्यटक खींचे चले आते हैं.
छिड़ी: यह छोटा सा कस्बा सेब की खेती के लिए वरदान है. यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता मन को हरने वाली है. वहां और भी कई छोटे मंदिर अपनी बहुत पुरातनता लिए हुए हैं जोकि ज्यादा दूर नहीं हैं.
कमरुनाग झील और मंदिर : समुन्द्र तल से 3,334 मीटर की ऊंचाई पर मंडी -करसोग सड़क में यह स्थान ट्रैकर के लिए आरामदायक स्थान है. आप रोहांडा नामक जगह से ट्रेकिंग शुरू कर सकते हैं. यह स्थान सुन्दरनगर से 40 और मंडी से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. रोहांडा से तीन घंटे की ट्रैकिंग से कमरुनाग झील पहुंचा जा सकता है.