केंद्र सरकार की एक फैसले के कारण हिमाचल में हेल्थ कवरेज सिस्टम में भी बदलाव होने जा रहा है। केंद्र सरकार ने 70 साल से ऊपर के बुजुर्गों को आयुष्मान भारत योजना में शामिल करने की घोषणा की है।
अक्टूबर महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस स्कीम का शुभारंभ करेंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के मंत्रालय से इस बारे में हिमाचल सरकार को भी पत्र आ गया है।
70 साल से ऊपर के बुजुर्गों को आयुष्मान में ट्रांसफर करने के कारण हिमाचल सरकार की हिम केयर योजना से 81000 बुजुर्ग निकल जाएंगे। इन्हें 5 लाख की सालाना स्वास्थ्य कवरेज आयुष्मान भारत के तहत दी जाएगी।
केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना 90:10 के खर्चे में चलती है।
हिमाचल में ऐसे 6 लाख के करीब बुजुर्ग हैं। इनमें से 81000 हिम केयर में, जबकि कुछ राज्य सरकार के पेंशनर और कुछ आयुष्मान भारत में कवर हैं।
भारत सरकार से पत्र आने के बावजूद अब भी हिमाचल सरकार के पेंशनरों को लेकर स्थिति साफ नहीं है। भारत सरकार ने केंद्रीय पेंशनरों को लेकर भी इस पत्र में स्थिति साफ नहीं की है।
माना जा रहा है कि अक्टूबर में लॉन्चिंग से पहले इस बारे में फैसला हो जाएगा। हिमाचल सरकार की पेंशनरों को मेडिकल री-इंबर्समेंट की सुविधा मिलती है, लेकिन यदि इन्हें भी आयुष्मान भारत में ट्रांसफर कर दिया जाए तो राज्य का अतिरिक्त बजट भी बचेगा।
यहां दुविधा सिर्फ ओपीडी के खर्चे को लेकर है, क्योंकि आयुष्मान या हिम केयर में फ्री इलाज सिर्फ अस्पताल में दाखिल होने पर ही उपलब्ध है।
आयुष्मान भारत के लिए भारत सरकार ने पत्र के जरिए राज्य सरकार को जो सूचना दी है, उसमें यह कहा गया है कि अलग-अलग योजनाओं में कवर 70 साल से ऊपर के बुजुर्गों को वन टाइम ऑप्शन के तहत इस विकल्प को चुनना होगा। लेकिन यह विकल्प क्या राज्य सरकार या केंद्र सरकार की पेंशनरों को भी मिलेगा?
इस बारे में अभी स्पष्टता नहीं है। केंद्र सरकार ने इस साल के अपने पहले बजट के समय यह घोषणा की थी कि 70 साल से ऊपर आयु वर्ग के सभी बुजुर्गों को आयुष्मान भारत में लिया जाएगा।
2.60 लाख मरीजों पर 330 करोड़ खर्च
हिमाचल प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना 23 सितंबर 2018 को शुरू हुई थी। तब सामाजिक आर्थिक जातिगत गणना 2011 के आधार पर 4.78 लाख परिवारों को इस योजना के तहत पात्र घोषित किया गया था।
आयुष्मान में हिमाचल अब तक 2.60 लाख मरीजों को करीब 330 करोड़ रुपए का फ्री इलाज दे चुका है। इस योजना में राज्य सरकार की हिस्सेदारी सिर्फ 10 फ़ीसदी है।
इस योजना के तहत कुल 292 अस्पतालों को इंपैनल किया गया है, जहां कैशलेस इलाज की सुविधा मिल रही है। किसी स्कीम में हुए कथित फर्जीवाड़े की जांच अभी ईडी कर रही है।