शिमला : आगामी 21 जून को सूर्य ग्रहण लगने वाला है। सूर्य ग्रहण का सूतक 20 जून को रात 9ः16 बजे प्रारंभ हो जाएगा। इसके बाद सूर्य ग्रहण 21 जून सुबह 10ः23 बजे प्रारंभ होगा और दोपहर बाद 1ः48 बजे समाप्त होगा। इससे पहले इसी माह 5 जून को उपच्छाया चंद्र ग्रहण लगा था।
विशेष महत्व वाला सूर्यग्रहण
खगोलीय घटना के रूप में सूर्य ग्रहण का विशेष महत्त्व बताया जा रहा है। यह सूर्य ग्रहण ऐसे समय में लग रहा है, जब दुनिया में कोरोना महामारी, प्राकृतिक आपदाओं और कई देशों के बीच तनाव की स्थिति है। माना जा रहा है कि सूर्य ग्रहण एक साथ कई तरह के संयोग लेकर आ रहा है।
आचार्य भगतराम नड्डा के अनुसार
आचार्य भगतराम नड्डा ने इस सूर्य ग्रहण को ज्योतिष के नजरिए से काफी महत्त्वपूर्ण बताया है। उनका कहना है कि इस दिन दान-पुण्य करने से बड़ा लाभ होता है। विशेषकर कुरुक्षेत्र की धरती पर इस दिन दान करने से 13 गुना पुण्य प्राप्त होता है।
एक विशेष कहानी
उन्होंने यहां एक विशेष कहानी का जिक्र किया है। आचार्य भगतराम जी का कहना कि कुरुक्षेत्र में राजा कुरु ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया था। उस समय ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने यह वरदान दिया था कि इस धरती के ऊपर जो दान-पुण्य करेगा, उसका उसे 13 गुना लाभ मिलेगा।
दानवीर कर्ण से जुड़ी है कहानी
दानवीर कर्ण को उस समय जब अंतिम संस्कार के लिए पवित्र धरती नहीं मिली, तो भगवान श्रीकृष्ण ने दानवीर को जलाने के लिए अपना दाहिना हाथ आगे किया। उसी समय धरती ने कहा कि कृष्णा तुम्हारा हाथ दग्ध (जला हुआ) है, तुमने राजा बलि के यज्ञ में दान दिया था। इसमें तीन कदम भूमि दान ली थी। इसलिए इस हाथ पर तुम कर्ण को नहीं जला सकते। इसके बाद श्रीकृष्ण ने दानवीर कर्ण को अपने बाएं हाथ पर जलाया।
यहाँ लगता है सूर्य ग्रहण का मेला
आचार्य भगतराम नड्डा का कहना है कि सूर्य मंदिर कुरुक्षेत्र के मैदान में होने के कारण सूर्य ग्रहण का मेला यहां लगता है। इस मेले को देखने के लिए स्वयं भगवान श्रीकृष्ण भी आए थे। उनका कहना है कि यह वही कुरुक्षेत्र है, जहां महाभारत का युद्ध हुआ था और वहां पर दो तालाब हैं, जहां ग्रहण के दिन बहुत सारा दान पुण्य किया जाता है।
दूसरी बार बन रहा संयोग
उन्होंने कहा कि 21 जून का दिन साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। इस तरह का संयोग दूसरी बार बना है। इससे पहले 19 साल पहले 2001 में 21 जून को सूर्य ग्रहण लगा था।
इस दिन क्या न करें
स्वस्थ व्यक्ति सूतक होने पर अन्न-जल ग्रहण न करें ग्रहण के समय में गर्भवती महिलाएं सब्जी काटना, सोना, चलना-फिरना, किसी भी तरह की कुटाई-सिलाई न करें ध्यान रहे ग्रस्त सूर्य बिंब को नंगी आंखों से कदापि न देखें
स्नान के बाद ही ग्रहण करें अन्न-जल
सूर्य ग्रहण के दिन बच्चे, बूढ़े एवं अस्वस्थ व्यक्ति औषधि के माध्यम से जलपान कर लें सूर्य ग्रहण के दौरान धार्मिक ग्रंथों का अवलोकन करें एवं हरिनाम संकीर्तन करें. ग्रहण की समाप्ति के पश्चात स्नान करके अन्न-जल ग्रहण करें. खाने के लिए इस्तेमाल करने वाली गीली वस्तुओं में सूतक से पहले कुशा रख लें।