आज से पठानकोट- पपरोला रेल सफर का लें मज़ा

बैजनाथ : आखिरकार छह महीनों बाद 31 दिसंबर को साल के आखिरी दिन पठानकोट से पपरोला के बीच पुनः लोगों को छुक-छुक करती काँगड़ा क्वीन में सफर करने के अरमान पूरे हो जाएंगे। इस 164 किलोमीटर रेलवे ट्रैक को अंग्रेजों के जमाने में बनाने में  मात्र दो साल लगे थे। बरसात में क्षतिग्रस्त करीब आधा किलोमीटर रेलवे ट्रैक को ठीक करने में छह महीने लग गए। वहीँ पठानकोट से जोगिन्दरनगर तक 164 किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक पर जल्द ही उच्च क्षमता वाला नया इंजन नंबर 715 सात डिब्बों को खींचता हुआ दौड़ता नजर आएगा.

सफल रहा ट्रायल

जुलाई से बंद पड़ी पठानकोट -पपरोला के बीच रेलगाड़ी अब मंगलवार को सीधी रेल सेवा जनता को मिलनी शुरू हो जाएगी। इसके लिए सोमवार को उस ट्रैक पर पठानकोट से पपरोला के बीच गाड़ी दौड़ा कर ट्रायल किया गया, जो सफल रहा। पपरोला स्थित रेलवे स्टेशन के मास्टर रविंद्र ने बताया कि आज का ट्रायल सफल रहा। आशंका है कि मंगलवार के पठानकोट-पपरोला के बीच चार रेलगाडि़यां आनी-जानी शुरू हो जाएंगी। इसके चलते रेलगाड़ी में सफर करने वालों को सहूलियत मिलनी आरंभ हो जाएगी।

जोगिन्दरनगर तक दौड़ेगा उच्च क्षमता वाला नया इंजन

पठानकोट से जोगिन्दरनगर तक 164 किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक पर जल्द ही उच्च क्षमता वाला नया इंजन नंबर 715 सात डिब्बों को खींचता हुआ दौड़ता नजर आएगा, जिसका पठानकोट से ज्वालामुखी रोड़ तक सफल ट्रायल भी हो गया है।पुराने बूढे़ हो चुके रेल इंजनों की जगह अब पठानकोट रेलवे को आगामी एक साल के भीतर  सात नए इंजन मुहैया करवाए जाएंगे, जिसकी शुरुआत हो गई है।

जुलाई से बंद था रेल ट्रैक

जुलाई माह में बरसात से पहले  इस ट्रैक की बीच छह गाडि़यां आया जाया करती थीं। यही नहीं, एक सुपरफास्ट एक्सप्रैस ट्रेन का शुभारंभ भी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने किया था। वह ट्रेन ऐसी पपरोला से पठानकोट के लिए गई कि दोबारा लौट कर नहीं आई।अंग्रेजों के जमाने के निर्मित नैरोगेज रेलमार्ग पर यह उच्चतम  क्षमता का पहला रेल इंजन होगा।