आयुर्वेदा अनुसंधान संस्थान ने उठाया बीड़ा, रिसर्च के बाद आवेदन प्रक्रिया शुरू
इस प्रख्यात जरनल के 389 से 393 पेज पर प्रकाशित इस शोध पत्र में धाम के हर पहलू की फूड वैल्यू का जिक्र किया गया है। इसके बाद क्षेत्रीय आयुर्वेदा अनुसंधान संस्थान फार न्यूट्रीशियनल डिस्आर्डर मंडी ने मंडयाली धाम का पेटेंट करवाने का निर्णय लिया है। संस्थान ने मंडयालीधाम पर एक लंबा शोध तैयार कर पेटेंट करवाने का दावा किया है। संस्थान द्वारा किए गए शोध में मंडयाली धाम को आयुर्वेदिक आहार बताया गया है।
संस्थान के सहायक उपनिदेशक एवं अनुसंधान अधिकारी डा. ओम राज शर्मा की देखरेख व अगवाई में इसी संस्थान की सुमित गोयल, दीपशिखा आर्य, विनीता नेगी, विकास नरयाल व प्रशांत शिंदे की टीम ने मंडयाली धाम के हर पहलू पर शोध किया है। गांधी भवन मंडी स्थित आयुर्वेदा अनुसंधान संस्थान के सहायक निदेशक एवं अनुसंधान अधिकारी डा. ओम शर्मा ने बताया कि अब मंडयाली धाम को जल्द ही पेटेंट करवाया जाएगा। इसकी आवेदन प्रकिया शुरू कर दी गई है।
ये हैं मंडयाली धाम के व्यंजन
सिर्फ टौर के पत्तों पर खाते हैं धाम
मंडयाली धाम की एक और विशेषता यह है कि इसे सिर्फ टौर के हरे पत्ते से बनी पत्तलों पर खाया जाता है। इससे इसकी फूड वैल्यू और बढ़ जाती है। इसे किसी भी दूसरी पत्तल में नहीं परोसा जाता है। लोग भी इसे पत्तल पर खाना ही पसंद करते हैं।
स्रोत : दिव्य हिमाचल