हिमाचल प्रदेश में बिजली उत्पादन में जल्द कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। बताया जाता है कि बिजली बोर्ड की ऊहल परियोजना में अब उत्पादन होना शुरू हो जाएगा और उससे बोर्ड को राहत मिलेगी।
यहां पर एक यूनिट को चालू किया जा रहा है, जिसकी टेस्टिंग सफलता से कर ली गई है। अगले तीन-चार दिनों में यहां से बिजली का उत्पादन होगा और बोर्ड की कुल क्षमता में 35 मेगावाट का इजाफा हो जाएगा।
पिछले कुछ दिनों से ऊहल परियोजना की टेस्टिंग का दौर चल रहा था। यह कुल 100 मेगावाट की परियोजना है, जिसकी एक यूनिट अभी काम शुरू कर रही है।
यहां राज्य बिजली बोर्ड को अभी भी रोजाना 390 लाख यूनिट बिजली की जरूरत रहती है, जिसकी उपलब्धता अलग-अलग तरह से हो रही है।
हालांकि स्थानीय स्तर पर बिजली के कट भी कई स्थानों पर झेलने पड़ रह हैं, परंतु फिर भी बिजली बोर्ड पूरा प्रबंध करने में जुटा हुआ है।
बताया जाता है कि अगले महीने 15 फरवरी से बिजली की डिमांड कम हो जाएगी, जिससे यहां हालातों में सुधार होना शुरू हो जाएगा।
वैसे जनवरी महीने में बारिश व बर्फबारी काफी कम हुई है। बारिश की बात करें, तो 81 फीसदी कम बारिश हुई है, जिसका असर यहां पर नदियों के जलस्तर पर है, जो कि लगातार कम होता जा रहा है।
बिजली परियोजनाओं में घटा उत्पादन
27 लाख यूनिट सतलुज जल विद्युत निगम के नाथपा झाखड़ी व रामपुर परियोजनाओं की हैं। इन परियोजना में भी उत्पादन काफी कम हो चुका है।
इसके अलावा स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादकों द्वारा लगाए गए बड़े व छोटे प्रोजेक्टों में भी मात्र 35 लाख यूनिट रोजाना की बिजली उत्पादित हो रही है। राज्य की रोजमर्रा की जो जरूरत है, वो 370 लाख से 390 लाख यूनिट के बीच की है।
पंजाब से हर रोज ले रहे 129 लाख यूनिट बिजली
बिजली बोर्ड लिमिटेड के 26 पावर प्रोजेक्टों में मात्र 15 लाख यूनिट रोजाना का बिजली उत्पादन रह गया है। इन परियोजनाओं में कई प्रोजेक्ट बंद हो चुके हैं और थोड़े बहुत ही चल रहे है।
किसी परियोजना में दो मेगावाट बिजली उत्पादित हो रही है, तो किसी में तीन मेगावाट। ऐसे में रोजाना 15 लाख यूनिट तक आंकड़ा पहुंच रहा है। राज्य को बाहर से अब ज्यादा बिजली खरीदनी पड़ रही है।
बैंकिंग के माध्यम से पंजाब राज्य से प्रदेश को 129 लाख यूनिट रोजाना बिजली आ रही है, वहीं खरीदकर 75 लाख यूनिट तक प्रबंध करना पड़ रहा है।