जोगिन्दरनगर : कई वर्षों से निर्माणाधीन 100 मैगावाट की उहल चरण तृतीय विद्युत् परियोजना जल्द ही विद्युत् उत्पादन करना शुरू कर देगी. अंग्रेज इंजीनियर कर्नल बैटी द्वारा 100 साल पहले देखे गये इस परियोजना के सपने के साकार होने का समय आ गया है.
प्रबंधन ने किया दौरा
बुधवार को प्रबंधन ने परियोजना का दौरा किया तथा यह दावा किया कि तथा परियोजना का 99.9 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है.इस समय परियोजना टेस्टिंग के दौर से गुजर रही है. परियोजना के पहले यूनिट से 15 जून को उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा.
प्रदेश को होगी 100 करोड़ की आमदनी
इस परियोजना के बनने से प्रदेश को प्रति वर्ष लगभग 100 करोड़ की आमदनी होगी. गौरतलब है कि यह परियोजना अपने निर्धारित समय से लगभग 11 साल पीछे चल रही है. इस परियोजना की 33.3 की दो इकाइयाँ जून के अंत तक विद्युत् उत्पादन शुरू कर सकती है.
पैन स्टाक में आई थी मामूली खराबी
अभी तक पानी छोड़ कर की गई रेज़र वायर,पैन स्टाक व टनल की टैस्टिंग में पैन स्टाक में मामूली खामी के अलावा कोई किसी प्रकार की तकनीकी खराबी सामने नहीं आई है. जो मामूली खराबी आई थी वो भी ठीक कर दी गई है.
1500 करोड़ हुई लागत
परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य 2007 में निर्धारित किया गया था. तब इसकी लागत 500 करोड़ आंकी गई थी. मगर इसके टी समय सीमा के भीतर पूरा न होने के कारण इस की लागत बढ़ते बढ़ते 1500 करोड़ हो गई है.
उत्पादन क्षमता है 100 मैगावाट
इस परियोजना की उत्पादन क्षमता 100 मैगावाट है जबकि पीक सीजन में इस की क्षमता को 110 मैगावाट तक बढ़ाया जा सकता है.
टनल को बनाने में लगा समय
ब्यास वैली पावर कार्पोरेशन विद्युत् परियोजना के प्रबंध निदेशक एस. एस. चौहान ने बताया कि इस परियोजना की टनल को बनाने के लिए एक ही पहाड़ को 9 किलोमीटर लम्बा खोदा गया. टनल में भारी पानी का रिसाव के कारण कार्य करना बेहद मुशिकल था.