हिमाचल प्रदेश में मौसम की बेरूखी से पन विद्युत प्रोजेक्टों में विद्युत उत्पादन प्रभावित होने लगा है। जोगिंद्रनगर में पंजाब राज्य की 110 मेगावाट विद्युत परियोजना में विद्युत उत्पादन 8 मेगावाट पहुंच चुका है। इससे हिमाचल प्रदेश और पंजाब राज्य में बिजली का संकट गहराया है।
शानन परियोजना से मंडी जिले के जोगिंद्रनगर के बस्सी 132 केवी पावर ग्रिड और कांगड़ा के दो पावर ग्रिडों के माध्यम से हिमाचल और पंजाब के कई हिस्सों में बिजली आपूर्ति होती है।
बीते दो माह से परियोजना की बरोट स्थित रेजर वायर में पानी की किल्लत से विद्युत उत्पादन 95 प्रतिशत प्रभावित हो गया है। 110 मेगावाट की बजाय अब 8 मेगावाट ही विद्युत उत्पादन हो रहा है।
शानन विद्युत परियोजना के कनिष्ठ अभियंता आदित्य ने बताया कि बरोट स्थित 16 मिलियन क्यूसिक फीट वाली रेजरवायर में इन दिनों 140 क्यूसिक फीट ही पानी बचा है।
परियोजना के आरई सतीश कुमार ने बताया कि बड़ी मुश्किल से आठ मेगावाट विद्युत उत्पादन ही हो पा रहा है। इधर, 66 मेगावाट पन विद्युत बस्सी परियोजना में भी विद्युत उत्पादन ठप हो गया है।
16.4 मेगावाट की तीन टरबाइनों में विद्युत उत्पादन पानी की किल्लत से नहीं हो पा रहा है। यहां पर भी बड़ी मुश्किल से आठ मेगावाट विद्युत उत्पादन हो रहा है।
शानन परियोजना पर निर्भर इस विद्युत परियोजना की छपरोट स्थित रेजर वायर में पानी की आपूर्ति न होने से बिजली उत्पादन ठप हो गया है।
बस्सी परियोजना के आरई अरुण ने बताया कि बरोट स्थित रेजर वायर में पानी की आवक बढ़ने के बाद शानन और बस्सी परियोजना में विद्युत उत्पादन बढ़ेगा।