वीरेंद्र चौहान समेत आठ शिक्षकों का तबादला

पंजाब की तर्ज पर संशोधित वेतनमान देने की मांग को लेकर हिमाचल प्रदेश में गठित संयुक्त कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान सहित आठ पदाधिकारियों-शिक्षकों को स्थानांतरित कर दिया गया है। उच्च व प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने प्रशासनिक कारणों का हवाला देकर इन शिक्षकों को दूरदराज के स्कूलों में ट्रांसफर करने के आदेश जारी किए हैं।

संशोधित वेतनमान को लेकर बीते महीने ही प्रदेश में संयुक्त कर्मचारी महासंघ का गठन हुआ है। बीते कुछ दिनों से महासंघ अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत है। 27 मार्च से नाहन से दोबारा से अभियान शुरू करने की योजना है। इसी बीच शिक्षा निदेशालय ने पदाधिकारियों के तबादले कर दिए हैं।

संयुक्त कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष और शिमला के रझाणा स्कूल में कार्यरत प्रवक्ता अर्थशास्त्र वीरेंद्र चौहान को चंबा जिले के चांजू स्कूल के लिए स्थानांतरित किया गया है।

राजकीय अध्यापक संघ के प्रेस सचिव और शिमला के घणाहट्टी स्कूल में कार्यरत प्रवक्ता राजनीति विज्ञान कैलाश ठाकुर को शिमला के कांगल स्कूल, संयुक्त कर्मचारी महासंघ के सोशल मीडिया सचिव और राजकीय अध्यापक संघ के जिला कांगड़ा अध्यक्ष व कांगड़ा के हौरीदेवी स्कूल में कार्यरत प्रवक्ता सचिन कुमार को शिमला के मांदल स्कूल, मंडी के खाकरैना स्कूल के प्रिंसिपल व महासंघ के सलाहकार अरुण गुलेरिया को शिमला के गिलटारी स्कूल के लिए स्थानांतरित किया गया है।

महासंघ के सलाहकार व कांगड़ा के मलान स्कूल के मुख्याध्यापक सरोज मेहता को शिमला के गलेहा स्कूल, महासंघ के वेब सचिव और शिमला के घुंड स्कूल में कार्यरत टीजीटी सुरेंद्र शर्मा को चंबा के बडग्रां स्कूल भेजा गया है।

ओमप्रकाश की ओर से लगाया गया नारा जोइया मामा मानदा नहीं, कर्मचारी को शुणदा नहीं… सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ है। इसी पर संज्ञान लेते हुए प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए तबादला आदेश जारी किए हैं।

इसके अलावा सिरमौर के हलान स्कूल में ही कार्यरत टीजीटी धर्म सिंह का तबादला जिला शिमला के ढली स्कूल के तहत पीरन के लिए किया गया है।

सरकार की घिनौनी और कर्मचारी विरोधी कार्रवाई : वीरेंद्र

हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा है कि कर्मचारियों के मुद्दों को दबाने और वेतन आयोग के आंदोलन के खत्म करने के लिए महासंघ के पदाधिकारियों को प्रशासनिक कारणों का हवाला देकर दूरदराज के क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यह सरकार की बहुत ही घिनौनी और कर्मचारी विरोधी कार्रवाई है। उन्होंने सरकार को सूचित किया कि इससे कर्मचारियों के मामले दबेंगे नहीं, कर्मचारियों में और आक्रोश पैदा होगा।

अधिकारियों पर दमनकारी नीति अपनाना असंवैधानिक : खरवाड़ा

वहीं, राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष और संयुक्त महासंघ के मुख्य समन्वयक कुलदीप खरवाड़ा ने कहा कि कर्मचारियों के अधिकारों पर दमनकारी नीति अपनाना असंवैधानिक है।

कर्मचारी नेताओं के खिलाफ प्रताड़ित करने के इरादे से की गई एफआईआर वापस ली जाए और तबादलों को भी रद्द किया जाए। पंजाब की तर्ज पर वेतनमान दिया जाए। ऐसा ना होने पर संयुक्त कर्मचारी महासंघ दमनकारी नीति के खिलाफ आंदोलन को तेज करेगा।

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