प्रदेश की पंचायतों में मनरेगा के तहत अब सरकारी और सेवानिवृत्त कर्मचारी काम नहीं कर पाएंगे। मनरेगा के तहत लाभार्थियों के रूप में स्थायी अनुबंध एवं सेवानिवृत्त कर्मचारी सहित सरकारी कर्मचारियों की पात्रता के संबंध में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा प्रदेश के सभी जिलों के उपायुक्त, विकास अधिकारियों और बीडीओ को दिए निर्देश जारी किए गए हैं।
ग्रामीण विकास विभाग के सचिव की ओर से मनरेगा के तहत लाभार्थियों की पात्रता को लेकर आदेश जारी किए गए हैं। ग्रामीण विकास विभाग की ओर से जारी किए गए आदेशा में मनरेगा के तहत केवल उन्हीं लोगों को रोजगार दिया जाएगा, जो लोग आर्थिक रूप से सबसे कमजोर हैं या फिर कहीं भी काम नहीं करते।
ग्रामीण विकास विभाग को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत लाभार्थियों के रूप में स्थायी, संविदा और सेवानिवृत्त कर्मियों सहित सरकारी कर्मचारियों की पात्रता के संबंध में विभाग को विभिन्न स्पष्टीकरण प्राप्त हो रहे हैं।
इसके बाद ग्रामीण विकास विभाग की ओर से मनरेगा के तहत लाभार्थियों की पात्रता को लेकर आदेश जारी किए गए हैं। ग्रामीण विकास विभाग की ओर से जारी किए गए आदेशों में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा जारी वार्षिक मास्टर सर्कुलर (2024-25) के अध्याय तीन के अनुसार जॉब कार्ड मनरेगा के तहत एक कानूनी अधिकार है और यह मजदूरी रोजगार और संबंधित लाभों का दावा करने का आधार बनता है।
जॉब कार्ड जारी करना उन ग्रामीण परिवारों तक ही सीमित है, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिए स्वेच्छा से काम करते हैं।
ग्रामीण विकास विभाग की ओर से जारी किए गए निर्देशों में कहा गया है कि ग्राम पंचायतें जॉब कार्ड जारी करने से पहले आवेदकों की वास्तविकता को सत्यापित करें और सुनिश्चित करें कि केवल उन्हीं परिवारों को मनरेगा के दायरे में लाया जाए, जिनके पास पर्याप्त आजीविका का कोई वैकल्पिक स्रोत नहीं है।
जिनके पास नियमित आय नहीं, उन्हें काम
मनरेगा का उद्देश्य उन ग्रामीण परिवारों को मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराना है, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिए स्वेच्छा से आगे आते हैं, तथा इसका स्पष्ट ध्यान सामाजिक संरक्षण, आजीविका सुरक्षा और सामाजिक रूप से वंचित समूहों के सशक्तिकरण पर है।
मनरेगा अधिनियम उन लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया है, जिनके पास नियमित आय या रोजगार नहीं है।