फाइनल में अंतिम शॉट तक यह निर्णय नहीं हो सका था कि पदक किसके खाते में जाएगा। लेकिन जैसे ही उनका निशाना 10.7 पर पड़ा। खेल मंत्री अजय माकन समेत भारी संख्या में मौजूद भारतीय अपनी सीटों से उछल पड़े। हालांकि इससे पहले अंतिम छह शॉट तक बीजिंग ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा पूरी तरह फाइनल की दौड़ में थे। लेकिन तीन बार उनका निशाना भटका और वह दौड़ से बाहर हो गए।
गगन ने आज जिस तरह के धैर्य और शूटिंग का परिचय दिया। वैसा जल्द देखने को नहीं मिलता है। फाइनल रेंज में प्रवेश के दौरान इस शूटर ने भारी समर्थन और शोर के बीच एक बार भी नजर ऊपर उठाकर नहीं देखा। यहां तक आधिकारिक परिचय के दौरान भी उनकी गर्दन नीचे ही रही। गर्दन उठी और बंद मुट्ठी लहराई तो 10.7 के अंतिम शॉट के बाद। दरअसल गगन किसी तरह से भी अपना फोकस और धैर्य को टूटने नहीं देना चाहते थे।
हालांकि बीच में एक समय ऐसा भी आया जब लगा गड़बड़ हो गई है। लगातार 26 शॉट उनके परफेक्ट 10 पर थे। लेकिन तीसरी सीरीज में 27वां व 30वां शॉट निशाने से भटक गया। चार दिनों से अस्पताल में पड़े कजाखस्तानी कोच स्टानिस्लॉव लैपिडस ने उन्हें बुलाया और काफी देर तक समझाते रहे। इसके बाद अंतिम 60 शॉट तक उनका एक भी निशाना नहीं चूका। उन्होंने 600 में से 598 (100, 100, 98, 100, 100, 100) का स्कोर किया।
वहीं बिंद्रा भी छह शॉट पहले चौथे स्थान पर थे। वह पूरी तरह फाइनल की होड़ में थे लेकिन दबाव में बिखरे बिंद्रा का 54, 55 व आखिरी शॉट लक्ष्य से भटक गया। वह 594 के स्कोर के साथ 16वें स्थान पर रहे। यह ऐसी टक्कर थी जहां बिंद्रा के साथ वर्ल्ड चैंपियन चीन के झू क्विनान, वर्ल्ड कप विजेता हंगरी के पीटर सीदी जैसे दिग्गजों को भी हार का मुंह देखना पड़ा।
फाइनल की भिड़ंत बेहद रोचक रही। गगन का सातवां व आठवां शॉट 9.9, 9.5 पर लगा वह तीसरे से चौथे स्थान पर खिसक गए। नौवां शॉट उनका 10.3 पर लगा जबकि उनके साथ चिपक कर चल रहे चीन के वांग ताओ के 9.2 पर लगे निशाने ने गगन को पदक की दौड़ में शामिल कर दिया। अंतिम शॉट में गगन ने एक बार फिर समय लिया और यहां उनका निशाना 10.7 पर था।
फाइनल में उनका कुल स्कोर 103.1 रहा। जिसने उन्हें राज्यवर्धन राठौड़, अभिनव बिंद्रा के बाद ओलंपिक में पदक जीतने वाला तीसरा शूटर बना दिया।