क्या आप यकीन करेंगे कि एक छोटा सा सरोवर किसी नि:संतान दंपति के जीवन में खुशियां ला सकता है। जी हाँ आधुनिक युग में आपको इन बातों पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल लगता हो लेकिन आस्था की दृष्टि से यह सब होता है।
देव हुरंग नारायण के साथ है इस स्थान का सम्बन्ध
ऐसी ही आस्था का एक जीता जागता उदाहरण मंडी जिला के पधर उपमंडल के हिमरी गंगा स्थान पर भी देखने को मिलता है। यहां घोघरधार के गर्भ से एक विशाल जलधारा निकलती है जिसे ‘हिमरी गंगा’ के नाम से जाना जाता है। इस स्थान का इतिहास यहां के अराध्य देव हुरंग नारायण के साथ जुड़ा हुआ है। हिमरी गंगा के पानी से स्नान करने का विशेष महत्व माना गया है।
चर्म रोगों से भी मिलती है मुक्ति
खासतौर पर भादो महीने की 20 प्रवीष्ठे (तारीख) को इस स्नान का महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस पानी से स्नान करने से चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है। लेकिन इससे भी बड़ा चमत्कार यह है कि यहाँ बना एक छोटा सा सरोवर चमत्कारी है.
गोद भराई करता है यह सरोवर
नि:संतान दंपतियों की ‘गोद भराई’ करता है। 20 भादो को यहां नि:संतान दंपति बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। पहले स्नान करते हैं और फिर महिलाएं इस सरोवर के पास आती हैं। इस सरोवर में फल, फूल और अखरोट के दाने श्रद्धा स्वरूप अर्पित किए जाते हैं।
दुप्पट्टे में फल आया तो होगी संतान
नि:संतान महिला इस सरोवर में अपने दुपट्टे को फैलाती है और फिर फल, फूल या अखरोट के दाने के आने का इंतजार करती हैं। यदि दुपट्टे में इनमें से एक भी फल आ गया तो समझो की संतान होना तय है, यदि नहीं आया तो फिर निराशा ही हाथ लगती है। लेकिन ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि यहां आए नि:संतान दंपति निराश होकर लौटे हो।
हर वर्ष मिलता है यहाँ हजारों लोगों को संतान सुख
लोगों की देव हुरंग नारायण और देवी हिमरीगंगा के प्रति अटूट आस्था है और यही आस्था उन्हें मनवांछित फल भी प्रदान कराती है। इन दंपतियों की गोद भराई के लिए यह स्थान इतना प्रसिद्ध हो चुका है कि हर साल यहां पर हजारों की संख्या में लोग आते हैं। कोई संतान सुख की प्राप्ति के लिए तो कोई अपनी अन्य मनोकामनाओं के लिए। यहां हर वर्ष मेला भी आयोजित किया जाता है।