इतिहास का गवाह रह चुका कमलाह किला मंडी से करीब 80 किलोमीटर दूर कमलाह गाँव की पहाड़ी में स्थित है.
यह किला समुद्र तल से 4772 की फीट की ऊँचाई पर स्थित है. यह हमीरपुर जिले के करीब स्थित है तथा यह किला सिकन्दर धार की रेंज के तहत आता है.
सूरज सेन ने करवाया था निर्माण
इस ऐतिहासिक किले का निर्माण राजा सूरज सेन ने 1625 में करवाया था. इस किले को 1840 में महाराजा रणजीत सिंह के जनरल वेनतुरा ने नष्ट करवा दिया था. दोबारा मंडी के राजा ने 1846 में इस किले का पुनः निर्माण करवाया था.
संत कमलाह के नाम से विख्यात
बाद में यह किला स्थानीय संत कमलाह के नाम पर प्रसिद्ध हो गया. पर्यटक इस स्थान पर साहसिक मार्ग के माध्यम से ट्रेकिंग द्वारा पहुँच सकते हैं. हाल ही में की गई खुदाई में कुछ कंकाल भी इस किले में पाए गए थे.
आस्था का केंद्र है यह किला
आज यह किला ऐतिहासिक धरोहर के साथ -साथ लोगों की आस्था का केंद्र बन चुका है लेकिन आज यह किला खंडहर बनने की कगार पर खड़ा है. यह किला देश के साथ -साथ हमारी समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है .प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन की अनदेखी के चलते आज यह धरोहर जर्जर हालत में है. मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए न तो पीने के पानी की सुविधा है और न ही शौच जाने की उचित व्यवस्था है.
बदहाली पर बहा रहा आंसू
शौचालय तो बने हैं लेकिन पानी न होने के कारण गंदगी फैली हुई है. कमलाह किले को कमलाह रियासत का सबसे मजबूत और अजेय गढ़ माना जाता था लेकिन आज यह धरोहर सरकार और प्रशासन की अनदेखी के चलते अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.