इक बारी इक मंडयाली किसान घा रेड़ना डाला ऊपर था चढ़ीरा कने डाला गे रिड्की गया कने तीसरा मुंड फटी गया. कुसकी सेह होस्पिटला जो लेई नीता. डाक्टरे हिंदिआ मंझ पूछ्या, “यह कैसे हुआ?”
किसान:
कोहणे को तो कोह गया
पर लोह न सका
नीचे था जम्मण का ठुंड
ठुंड में पड़ा मुंड
और मुंड में भोका पो गया
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