बेहद खूबसूरती से किसी ने पहाड़ी में लिखा है जरूर पढ़ें.
गल्ल मुकदी गलाई के, रोटी मुकदी खाई के,
जमीन रजदी वाई के, कुडी सजदी व्याही के,
मँजिल मिलदी जाई के, समझ औंदी समझाइ के,
आराम मिलदा सोइ के, भडास मिटदी रोइ के,
चूल्ह सजदी जलाई के, रजाई सजदी भराई के,
कणक भिउदीँ सुखाई के, भेद खुलदे प्याई के,
ढोलक लैणी बजाई के, बर्तन लैणे ठणकाई के,
मैह लैणी सामणे दुयाई के, बूट लैणे पैराँ पाई के,
गहणा बणदा चँडी के, विद्या बधदी बन्डी के,
कसरत हुँदी नच्ची के, खून बधदा हस्सी के,
शरीक हसदे लडाई के, झगडे मुकदे मनाई के
कन्नै असली गल्ल………. जे बच्चणा बडे खर्चे ते ताँ, ब्याह करणा मँदरे च्च जाई के…..
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