एनपीएस से ही निकलेगा ओल्ड पेंशन का रास्ता

राज्य में सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का रास्ता न्यू पेंशन स्कीम के जरिए ही निकलेगा। जयराम सरकार ने वादा किया है कि ओल्ड पेंशन को लेकर सरकार एक हाई पावर कमेटी बनाएगी। कमेटी का गठन अभी होना है। इससे पहले एनपीएस कर्मचारियों ने अपने खाते के पेंशन फंड का डाटा एकत्र कर लिया है।

राज्य में वर्ष 2003 में न्यू पेंशन स्कीम को लागू किया गया था। तब से अब तक राज्य में 1.07 लाख कर्मचारी एनपीएस के दायरे में हैं। इनके पेंशन फंड में वर्तमान में 6000 करोड़ के आसपास की राशि है। इसमें से 2800 करोड़ इनका अपना कंट्रीब्यूशन है और 3200 करोड़ राज्य सरकार का हिस्सा इसमें है।

एनपीएस के लिए राज्य सरकार 14 फीसदी सहयोग करती है। हाल ही में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान एनपीएस कर्मचारियों ने तपोवन में धरना दिया था। इस धरने के बाद 11 दिसंबर को एनपीएस का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिला था। सीएम ने तर्क दिया था कि यदि ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करनी हो, तो इस भुगतान के लिए 2000 करोड़ के एरियर और सालाना 500 करोड़ की देनदारी बनेगी।

इसी मुलाकात के बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव फाइनांस प्रबोध सक्सेना ने नोटिफिकेशन जारी कर कमेटी बनाने की बात कही थी। इस कमेटी का गठन अब होना है। कमेटी के गठन से पहले एनपीएस कर्मचारी महासंघ ने भारत सरकार के पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डिवलपमेंट अथॉरिटी से आरटीआई के जरिए हिमाचल के सरकारी कर्मचारियों के पेंशन फंड का डाटा निकाला है। यह राशि करीब 6000 करोड़ बनती है।

वर्तमान प्रावधानों के अनुसार नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड यानी एनएसडीएल पेंशन फंड को मैनेज करती है और कर्मचारियों को तीन कंपनियों में यह पैसा लगाने का विकल्प देती है। इसमें एसबीआई पेंशन फंड प्राइवेट लिमिटेड, एलआईसी पेंशन फंड लिमिटेड और यूटीआई रिटायरमेंट सॉल्यूशंस लिमिटेड कंपनियां शामिल हैं।

अब यह राज्य सरकार के ऊपर है कि वह किस तरह की कमेटी का चयन करती है। इस फैसले के लिए भी वर्तमान में सरकार फाइनांस सेक्रेटरी के वापस ड्यूटी ज्वाइन करने का इंतजार कर रही है, जो अभी कोरोना पॉजिटिव हैं।

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