कांगड़ा : एचआरटीसी के ड्राइवर की चलती बस में अचानक सांसें थम सी गई। यह बस धर्मशाला से कांगड़ा-टांडा की तरफ जा रही थी कि पुराना मटौर के पास बस सड़क पर अचानक रुक गई और बस चला रहा ड्राइवर सीट से बेसुध होकर एक तरफ लुढ़क गया। अचानक हुई इस घटना को देखकर सभी बस सवार सहम गए। फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा की स्टाफ नर्स काजल भी उसी बस में सवार थी। मानवता की मिसाल पेश करने वाली काजल की इस सराहनीय कार्य की हर तरफ तारीफ़ हो रही है.वहीँ ड्राईवर ने भी दौरा पड़ने के बाद सूझबूझ से काम लिया और तुरन्त ही बस को ब्रेक लगा दी वरना बड़ा हादसा हो सकता था.
ड्राईवर के पीछे सीट पर बैठी थी काजल
वह ड्राइवर सीट से पिछली सीट पर बैठी थी। काजल ने अन्य यात्रियों के सहयोग से ड्राइवर को खाली जगह पर लेटाया, जब उसने ड्राइवर को चेक किया तो पाया कि नब्ज धीमी हो गई थी, धड़कन बद थी व सांसें थम चुकी थीं। वह अचेत अवस्था में था। काजल को समझाने में देर न लगी कि मामला गंभीर है और तुरंत हस्तक्षेप करना लाजिमी है।
काजल ने आजमाया हुनर
काजल ने हौसला दिखाया और बिना देर किए उसने अपने अर्जित अनुभव और हुनर को आजमाना शुरू किया। काजल ने हार्ट को जोर-जोर से काम्प्रेस करना शुरू किया। यह प्रक्रिया उसने करीब 15 मिनट तक जारी रखी। इस दौरान उसने मरीज को मुंह द्वारा भी ऑक्सीजन दिया। आखिर 15 मिनट बाद काजल की मेहनत रंग लाई और बस ड्राइवर के दिल की धड़कन ने हरकत करनी शुरू कर दी। थमी हुई सांसें चलने लगीं, उसने अपनी आंखें खोल दीं और बात करनी शुरू कर दी। अब वक्त था विशेषज्ञ ट्रीटमेंट का, जिसके लिए नर्स ने उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाने की सलाह दी।
डाक्टरों ने की काजल की तारीफ़
इस संबंध में फोर्टिस कांगड़ा के हृदय रोग विशेषज्ञ डा. अखिल गौतम और डा. अमित शर्मा ने कहा कि इस स्थिति में शुरुआती वक्त गोल्डन पीरियड होता है। उन्होंने कहा कि स्टाफ नर्स काजल ने जिस तरह से इस केस का शुरुआती और क्रिटिकल प्रबंधन किया है वह काबिलेतारीफ है। उन्होंने काजल के अभिभावकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह अच्छे लालन-पालन व संस्कारों का ही नतीजा है कि उनकी बेटी ने निःस्वार्थ भाव से साहसिक प्रयास करते हुए एक व्यक्ति की जान बचाई।
अस्पताल के लिए गौरव की बात
फोर्टिस कांगड़ा के डायरेक्टर कर्नल एचएस भगत ने कहा कि यह अस्पताल के लिए गौरव की बात है कि स्टाफ नर्स काजल के साहसिक प्रयत्नों से मरीज को तुरंत प्राथमिक और आवश्यक उपचार मुहैय्या हो पाया। कर्नल भगत ने बस ड्राइवर के साहस और समझ की भी तारीफ की। इस अवस्था में अगर ड्राइवर ब्रेक नहीं लगाता तो बड़ा हादसा हो सकता था।