श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी 2 और 3 सितंबर को है। कई बार कृष्ण जन्माष्टमी दो अलग-अलग दिनों पर हो जाती है जब-जब ऐसा होता है, तब पहले दिन वाली जन्माष्टमी स्मार्त सम्प्रदाय के लोगों के लिए और दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव सम्प्रदाय के लोगों के लिए होती है। जो कि इस साल भी 2 दिन पड़ रही है। जिसमें पहला दिन अर्थात 2 सितम्बर को स्मार्त की होगी और 3 सितम्बर को वैष्णव संप्रदाय की मनाई जाएगी।
रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाती है जन्माष्टमी
दो दिन मनाई जाएगी जन्माष्टमी
इस साल भी 2 सितंबर को रविवार 8.48 रात तक सप्तमी तिथि है और उसको बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी और रविवार की रात को ही चंद्रमा भी रोहिणी नक्षत्र में उच्च राशि वृषभ मे ही है। इस बार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी रात्रि 8:48 बजे से शुरू होकर अगले दिन 3 सितंबर को रात्रि 07:20 बजे समाप्त हो जाएगी। 3 सितंबर को रात को 7.20 से नवमी तिथि है और मृगशिरा नक्षत्र है।
जन्माष्टमी का यह है पूजन और मुहूर्त
जन्माष्टमी निशीथ काल पूजन का समय: 2 सितंबर मध्यरात्रि 11:57 से 12:48 तक शुभ मुहूर्त है और 3 सितंबर, 2018 को रात्रि 8:04 बजे तक निशीथ काल पूजन हैं।
स्मार्त लोग 2 सितंबर रविवार को कृष्ण जन्माष्टमी व्रत करेंगे। जन्माष्टमी के दिन, श्री कृष्ण पूजा निशीथ समय पर की जाती है। वैदिक समय गणना के अनुसार निशीथ मध्यरात्रि का समय होता है। निशीथ समय पर भक्त लोग श्री बालकृष्ण की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं।
जन्माष्टमी के दिन का अंतिम निर्धारण निशिता काल के समय, अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के शुभ संयोजन के आधार पर किया जाता है। स्मार्त नियमों के अनुसार हिंदू कैलेंडर में जन्माष्टमी का दिन हमेशा सप्तमी अथवा अष्टमी तिथि के दिन पड़ता है।