आज से शुरू हो रहे हैं माँ भगवती के शरद नवराते

आप सभी को माँ भगवती के पर्व नवरातों की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. माँ भगवती के शरद नवरात्रों की शुरुआत आज यानि 10 अक्तूबर से होने जा रही है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दु्र्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि आदि शक्ति मां दुर्गा की उत्पत्ति कैसे हुई। पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है।

जब असुरों के अत्याचारों से तंग हुए देवता

एक कथा के अनुसार असुरों के अत्याचार से तंग आकर देवताओं ने जब ब्रह्माजी से सुना कि दैत्यराज को यह वर प्राप्त है कि उसकी मृत्यु किसी कुंवारी कन्या के हाथ से होगी, तो सब देवताओं ने अपने सम्मिलित तेज से देवी के इन रूपों को प्रकट किया। विभिन्न देवताओं की देह से निकले हुए इस तेज से ही देवी के विभिन्न अंग बने।

भगवन शंकर के तेज़ से प्रकट हुआ देवी का मुख

भगवान शंकर के तेज से देवी का मुख प्रकट हुआ, यमराज के तेज से मस्तक के केश, विष्णु के तेज से भुजाएं, चंद्रमा के तेज से स्तन, इंद्र के तेज से कमर, वरुण के तेज से जंघा, पृथ्वी के तेज से नितंब, ब्रह्मा के तेज से चरण, सूर्य के तेज से दोनों पौरों की ऊंगलियां, प्रजापति के तेज से सारे दांत, अग्नि के तेज से दोनों नेत्र, संध्या के तेज से भौंहें, वायु के तेज से कान तथा अन्य देवताओं के तेज से देवी के भिन्न-भिन्न अंग बने हैं।

ब्रह्मा ने प्रदान किए चारों वेद

फिर शिवजी ने उस महाशक्ति को अपना त्रिशूल दिया, लक्ष्मीजी ने कमल का फूल, विष्णु ने चक्र, अग्नि ने शक्ति व बाणों से भरे तरकश, प्रजापति ने स्फटिक मणियों की माला, वरुण ने दिव्य शंख, हनुमानजी ने गदा, शेषनागजी ने मणियों से सुशोभित नाग, इंद्र ने वज्र, भगवान राम ने धनुष, वरुण देव ने पाश व तीर, ब्रह्माजी ने चारों वेद तथा हिमालय पर्वत ने सवारी के लिए सिंह प्रदान किया।