योग दिवस : जानिए कैसे योग ने उतारा शांता कुमार का 16 साल पुराना चश्मा

योग एक कला है जो हमारे शरीर, मन और आत्मा को एक साथ जोड़ता है और हमें मजबूत और शांतिपूर्ण बनाता है। ‘योग‘ शब्द तथा इसकी प्रक्रिया और धारणा हिन्दू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म में ध्यान प्रक्रिया से सम्बन्धित है।

योग का अर्थ होता है जुड़ना। यह तत्वतः बहुत सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित एक आध्यात्मिक विषय है जो मन एवं शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर ध्यान देता है।

यह बहुत आवश्यक है क्योंकि यह हमें फिट रखता है, तनाव को कम करने में मदद करता है और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखता है और एक स्वस्थ मन ही अच्छी तरह से ध्यान केंद्रित करने में सहायता कर सकता है।

आज इस दिवस के अवसर पर हम जानेंगे कि कैसे योग से शांता कुमार को 16 साल से लगा नजर का चश्मा कुछ माह में ही उत्तर गया, तो चलिए जानते हैं :-

बेंगलुरु के एक योग संस्थान में प्रवास के दौरान शांता को एक व्यक्ति द्वारा दृष्टि में सुधार के लिए त्राटक योग क्रिया करने का परामर्श दिया।

उन्होंने इस क्रिया को अपनाया तथा कुछ ही महीनों के पश्चात दृष्टि में सुधार हुआ तथा धीरे-धीरे उन्होंने चश्मा लगाना बंद कर दिया।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर शांता ने योग के शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जानकारी देते हुए खुद के साथ घटित इस घटना को भी सांझा किया। उन्होंने वर्तमान में 84 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं, परंतु वह अब भी बिना चश्मे के ही पठन पाठन का कार्य कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें:-

शरीर में इम्युनिटी लेवल बढ़ाने के लिए करें मिटटी के बर्तनों का उपयोग

जोगिन्दरनगर की लेटेस्ट न्यूज़ के लिए हमारे फेसबुक पेज को
करें।