शिमला : प्रदेश के स्कूलों में अब पहली से 12वीं कक्षा के बच्चों के लिए रेगुलर कक्षाएं शुरू कर दी गई हैं, लेकिन अभी बच्चे घर से मिड डे मील घर से ही ला रहे हैं। ऐसे में अब मार्च से बच्चों को स्कूलों में मिड-डे मील देने की तैयारी की जा रही है। शिक्षा विभाग ने इसका प्लान तैयार किया है और इसमें अब प्रदेश सरकार की मंजूरी का इंतजार है।
स्कूलों में मिड डे मील पकाने से पहले वर्करों की काउंसलिंग करवाई जाएगी ताकि उन्हें पता चल सके कि बच्चों को किन कोविड नियमों के तहत खाना पकाना है। पिछले दो सालों से बच्चों को घर बैठे ही सूखा राशन दिया जा रहा है और मिड-डे मील स्कूलों में नहीं पक रहा।
स्कूलों में प्राइमरी स्तर पर प्रति छात्र 100 ग्राम व अप्पर प्राइमरी स्तर पर प्रति छात्र 150 ग्राम चावल दिया जाता है और इसी हिसाब से केंद्र सरकार प्रदेश को प्रति वर्ष 15 हजार मिट्रिक टन चावल का कोटा जारी करती है।
प्रदेश में छोटी कक्षाओं के बच्चों के लिए स्कूल खोलने के साथ ही अब पहली से आठवीें कक्षा के बच्चों के लिए मिड डे मील के लिए बजट भी जल्द जारी होगा। इस बार केंद्र से इस साल के लिए 130 करोड़ का बजट का प्रस्ताव भेजा गया है। इस बार के बजट ने प्रदेश सरकार ने आठ करोड़ के एक्सट्रा बजट की मांग की है।