अनुबंध सेवा के कारण छूट गई पेंशन मिलेगी

हिमाचल सरकार से रिटायर हुए ऐसे हजारों कर्मचारियों को अब पेंशन लग जाएगी, जिनकी पेंशन पात्रता लंबी अनुबंध अवधि के कारण नहीं हो पाई थी। बुधवार को फायनांस सेक्रेटरी की अध्यक्षता में हुई कमेटी की बैठक में इस बारे में गाइडलाइन बनाने के निर्देश दिए गए हैं।

इस बैठक में कार्मिक विभाग के सचिव और विशेष सचिव वित्त मौजूद थे। हिमाचल में लागू हुई अनुबंध पॉलिसी शुरू में आठ साल की थी। फिर इसे पांच साल किया गया था। अनुबंध सेवा को पेंशन के लिए नहीं गिना जाता था, इसलिए बहुत से सरकारी कर्मचारी के रेगुलर सर्विस में 10 साल पूरे नहीं हुए, जो पेंशन के लिए पात्रता अवधि है।

वर्तमान कांग्रेस सरकार ने जब ओल्ड पेंशन को लागू किया, तो भी 10 साल की इस अवधि में छूट नहीं दे पाई थी। लेकिन अनुबंध पॉलिसी के कारण छूट गई पेंशन अब हाई कोर्ट के एक फैसले के कारण मिलने जा रही है। रा

ज्य सरकार हिमाचल हाई कोर्ट में आयुर्वेद विभाग से गए शीला देवी बनाम हिमाचल सरकार के केस में हार गई थी। कोर्ट ने कहा था कि यदि अनुबंध कर्मचारियों को लगातार सेवाओं में आगे रेगुलर कर दिया गया है, तो पेंशन बेनिफिट के लिए अनुबंध अवधि को काउंट किया जाएगा।

इस फैसले को चुनौती देने के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी सात अगस्त, 2023 को अपने फाइनल फैसले में यह कह दिया कि अनुबंध अवधि को पेंशन बेनिफिट के लिए राज्य सरकार काउंट करे और आठ हफ्ते के भीतर पात्र कर्मचारियों से ओल्ड पेंशन के लिए ऑप्शन लिया जाए।

इसके बाद मुख्य सचिव ने वित्त सचिव की अध्यक्षता में इसके लिए कमेटी बना दी, जिसमें कार्मिक विभाग के सचिव को भी रखा गया। बुधवार को इस कमेटी की पहली बैठक थी।

इसमें सिर्फ शीला देवी बनाम हिमाचल सरकार केस की जजमेंट को लागू करने की प्रक्रिया पर बात हुई। इस जजमेंट को लागू करने से पेंशन अमाउंट नहीं बढ़ेगा, लेकिन पेंशन पाने वाले कर्मचारियों की संख्या बढ़ जाएगी।

जिन कर्मचारियों की सर्विस अनुबंध अवधि मिलाकर 10 साल बन रही है, अब वे सभी पेंशन की हकदार हो जाएंगे। इसके लिए वित्त और कार्मिक विभाग मिलकर गाइडलाइन बना रहे हैं।

इसे राज्य सरकार पहले नोटिफाई करेगी। इसी से स्पष्ट होगा कि वित्तीय लाभ किस रूप में मिलेगा और कर्मचारी कब से ऑप्शन के लिए अप्लाई कर सकेंगे।

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