प्रदेश में बहुप्रतीक्षित फोरलेन प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई है। पठानकोट-मंडी नेशनल हाई-वे निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद इस प्रोजेक्ट को राज्य सरकार ने भी स्वीकृति प्रदान कर दी है। पठानकोट-मंडी नेशनल हाई-वे के पहले दो चरणों को यह मंजूरी मिली है।
नेशनल हाई-वे के 37 किलोमीटर हिस्से में अब एनएचएआई निर्माण शुरू कर पाएगी। इस 37 किलोमीटर के हिस्से को दो भागों में बांटा गया है। इसमें पहला भाग 28.700 किलोमीटर, जबकि दूसरा भाग 8.330 किलोमीटर का है। इस पूरे हिस्से में आने वाली वन भूमि को एनएचएआई को सौंप दिया गया है।
इस हिस्से में 17495 छोटे-बड़े पेड़, जबकि 168 बांस हैं, जिन्हें काटने की प्रक्रिया अब एनएचएआई स्थानीय प्रशासन से मिलकर शुरू करेगा। वन विभाग ने 50.9830 हेक्टेयर भूमि एनएचएआई को हस्तांतरित की है।
गौरतलब है कि पठानकोट-मंडी नेशनल हाई-वे को फोरलेन में बदलने की चर्चा पिछले साल दिसंबर से है। स्टेज एक के लिए 13 दिसंबर को फोरेस्ट क्लीयरेंस मिली थी, जबकि स्टेज दो को इसी साल 11 फरवरी को फोरेस्ट क्लीयरेंस दी गई। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया।
सुप्रीम कोर्ट ने दो मई को पठानकोट-मंडी नेशनल हाई-वे के दोनों चरणों को मंजूरी दे दी। प्रदेश सरकार को मामले में अंतिम मंजूरी देनी थी और यह मंजूरी दो दिन पहले ही मिली है। अब जल्द ही पेड़ काटने का काम शुरू होगा।
नूरपुर में यहां शुरू होगा निर्माण
पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर पंजाब राज्य के साथ लगते कंडवाल से लेकर भेडख़ड्ड और भेडखड्ड से सिहुणी तक यह निर्माण होना है।
मोह से भेडख़ड्ड तक 28.700, जबकि भेड़ खड्ड से सिहुणी तक 8.330 किलोमीटर को मंजूरी मिली है। इन दोनों हिस्सों का निर्माण 1361 करोड़ रुपए में होना है। इसके टेंडर पहले ही हो चुके हैं।