शिमला : हिमाचल में 18 वर्ष बाद पुरानी पेंशन की बहाली हो रही है. इसी के चलते मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नया फार्मूला अपनाया है। दिल्ली से वापस आते ही रविवार को वित्त विभाग के अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री ने दो स्तर की वार्ता की है, लेकिन किसी को भी अपना आइडिया नहीं दिया।
यह भी जाहिर नहीं होने दिया कि वह किस फार्मूले पर काम करना चाहते हैं? अब 28 दिसंबर को न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी संघ के साथ मुख्यमंत्री ने बैठक रखी है। इन कर्मचारियों को फोन के जरिए इसकी सूचना दी गई है और 28 दिसंबर को 12:00 बजे टेंटेटिव टाइम दिया गया है।
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इस बैठक के लिए एनपीएस संघ की तरफ से कुल 12 लोगों को बुलाया गया है, लेकिन एनपीएस संघ को मुख्यमंत्री कार्यालय से यह कहा गया है कि वह ओल्ड पेंशन पर प्रेजेंटेशन लेकर आए। दूसरी तरफ वित्त विभाग के अधिकारियों को भी अलग से प्रेजेंटेशन लाने को कहा गया है।
यानी इस बैठक में मुख्यमत्री वित्त विभाग की प्रेजेंटेशन को देखेंगे। फिर एनपीएस कर्मचारी संघ की प्रेजेंटेशन से इसको कंपेयर करेंगे। फिर संभव है कि अपनी बात कहें। इस रणनीति ने वित्त विभाग के अधिकारियों को भी उलझा दिया है।
वित्त विभाग से पहले ओल्ड पेंशन को लेकर 4 राज्यों के मॉडल पर काम कर रहा था। इसमें राजस्थान छत्तीसगढ़ झारखंड और पंजाब के फार्मूले शामिल हैं। सामान्य तौर पर अधिकारियों को लग रहा था कि मुख्यमंत्री पंजाब का फार्मूला अपनाएंगे, ताकि स्कीम बनाने के लिए सभी प्रभावों का आकलन करने को समय मिल जाए।
दिल्ली जाने से पहले जो निर्देश मुख्यमंत्री दे गए थे। उसमें राजस्थान फार्मूले की तरफ उनका झुकाव ज्यादा था। सुखविंदर सुक्खू पहले भी कह चुके हैं कि एनपीएस कंट्रीब्यूशन रोक दिया जाए और ओल्ड पेंशन लागू हो जाए, लेकिन अब 28 दिसंबर की बैठक में ही तय हो पाएगा कि वह क्या नए निर्देश देते हैं।
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