लग घाटी को जोड़ने वाली भूभू सुरंग को खोदने का प्रस्ताव अधर में

मंडी जिला के जोगिन्दरनगर और लग घाटी के बीच भूभू जोत के पास बनने वाली सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस सुरंग को खोदने का प्रस्ताव अभी भी अधर में है. पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने 2009 में इस 3.2 किलोमीटर लम्बी सुरंग के निर्माण की घोषणा की थी. सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण यह सुरंग अगर बन जाती है तो यह सुरंग यात्रियों के साथ-साथ सेना के वाहनों के लिए खराब मौसम में भी मददगार साबित होगी. इस सुरंग के निर्माण से न केवल कुल्लू और जोगिन्दरनगर के बीच की दूरी कम होगी, बल्कि लग घाटी और अन्य क्षेत्रों में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

दुर्गम क्षेत्र के कारण खटाई में परियोजना

इस सुरंग की अस्थाई लागत 500 करोड़ रुपए थी. सुरंग के व्यवहारिक अध्ययन हेतु विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) आस्ट्रिया के इंजीनियर बर्नार्ड को दी गई थी लेकिन कठिन और दुर्गम क्षेत्र होने के कारण अध्ययन में देरी हुई तब से यह परियोजना खटाई में है.

सर्दियों में भी होगा मददगार

यह सुरंग सामरिक महत्व की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगी. भूभू जोत सर्दियों में बर्फ से ढका रहता है.यह प्रस्तावित सुरंग यात्रियों के साथ-साथ सेना के वाहनों के लिए खराब मौसम में भी मददगार साबित होगा.

सांसद ने उठाया था मामला

सांसद रामस्वरूप शर्मा ने 2015 में केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय के साथ इस मामले को उठाया था लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है. नेशनल हाई अथोरटी ऑफ़ इंडिया (एनएचएआई)  के अधिकारियों का कहना है कि 2018 में मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा गया  था.

 

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