जोगिंदर नगर मुख्य शहर के सामने वाली सिकंदर धार की तलहटी में बसने वाले दर्जनों गाँव बरसात की पहली अच्छी बारिश को तरस गए हैं। आलम यह है कि इस इलाके में पड़ने वाली कुछ पंचायतों, मैन भरोला, टिकरू, बल्ह, चल्हारग से लेकर कमेहड़, द्राहल, मकरीरी, बसाही के अधिकतर गांवों में किसान सकते में हैं। सिकंदर धार के दूसरी तरफ बसने वाले रोपड़ी-कलहड़ू पंचायत और द्र्मन, भगेड़, खुड्डी आदि इलाकों में भी कमोबेश यही हालात हैं।
हालांकि जोगिंदर नगर, चौंतड़ा, ऐहजू, पधर, दरंग के सभी गांवों में भारी बरसात हो रही है लेकिन सिकंदर धार के दोनों और बसने वाले अधिकतर गांवों में अभी इतनी कम बारिश हुई है कि पानी के परंपरागत स्रोत गर्मियों से सूखे पड़े हैं। ये ऐसे गाँव हैं जो धान की फसल के लिए बारिश पर निर्भर हैं लेकिन यहाँ पर्याप्त बारिश न होने की वजह से धान की रोपाई भी नहीं हो पायी है। कुछ गाँव में तो अभी इतनी भी बारिश नहीं हुई कि खेत, छोटे तालाब और नालियाँ भी पानी से भरी हों।
कमज़ोर मानसून के चलते बारिश न होना भी एक पक्ष है लेकिन तहसील के सभी अन्य सभी इलाकों में हो रही भारी बारिश के बीच इस बैल्ट में बारिश न होने का दिलचस्प कारण भी लोग बता रहे हैं। लोगों का मानना है कि बारिश न होने की मुख्य वजह सिकंदर धार की मुख्य देवी भभौरी माता और अन्य देवियों-देवताओं की नाराजगी है। लोगों का कहना हैं कि लोगों की पालतू मवेशियों के प्रति क्रूरता की वजह से देवी रुष्ट हो गयी हैं।
गौरतलब है की पिछले दिनों भभौरी माता जंगल में कई मवेशियों के आग में जल जाने की खबरें आ चुकी हैं। बताया जा रहा है कि कुछ लोग अपने मवेशियों को जंगल में बांध गए थे और कुछ समय बाद वे सभी आग में जल गए थे। अनुमान है कि, आग उन्हीं लोगों ने लगाई हो जो इन्हें बांध गए थे।
वहीं दूसरी घटना में कुछ लोग सिकंदर धार के एक जंगल में कुछ लोग मवेशियों के मुंह को तारों से बांध कर जंगल में बांध गए थे जिनकी बाद में भूख-प्यास से मौत हो गयी।
कुछ महीने पहले भी द्राहल-कमेहड़ के बीच के जंगल में भी कुछ मवेशियों के शव बरामद हुये थे जो भूख प्यास से मर गए थे। इन्हें भी गाँव वाले जंगल में बांध गए थे।
क्षेत्र के कुछ उम्रदराज़ वाशिंदों का मानना है कि ऐसा उन्होने अपने जीवन काल में कभी नहीं देखा जब जोगिंदर नगर, चौंतड़ा आदि चारों और के इलाकों में भारी से बहुत भारी बारिश हो और यहाँ बारिश न हो। वो भी बार बार कई हफ़्तों तक दोहराना अपने आप में कई सवाल पैदा कर रहा है।
कई लोग तो यहाँ तक कह रहे हैं कि जब तक मवेशियों के क्रूरता करने वाले अपराधियों को उचित सजा नहीं मिलती हालात सुधरने वाले नहीं है।
जो भी हो, मवेशियों के प्रति क्रूरता और संवेदनहीनता को दोहराना और इसके बारे में कोई उचित कदम न उठाना हमारी लगातार गिरती मानसिक और सामाजिक स्थिति को दर्शाता है।