जोगिंदर नगर क्षेत्र के किसानों के लिए इस बार मॉनसून देर से ही लेकिन समय रहते राहत लेकर आया है। क्षेत्र की अधिकतर पंचायतें सूखे जैसे स्थिति का सामना कर रही थी लेकिन पिछले तीन दिनों से जारी झमाझम बारिश ने सारे मलाल धो दिये हैं। इसके चलते, अभी तक पानी से वंचित किसान धान की रोपाई में जुट गए और क्षेत्र की सभी पंचायतों के किसानों ने धान की गुड़ाई और रोपाई का कार्य पूरा कर लिया है।
गौरतलब है कि इस बार बारिश पर आधारित धान की रोपाई लगभग एक महीने की देरी से हुई है। सामान्यता: धान की गुड़ाई और रोपाई जून महीने के अंतिम दिनों में या जुलाई के प्रथम सप्ताह तक पूरी हो जाती थी इस बार किसानों को लगभग 25 दिनों का इंतज़ार करना पड़ा है।
चिंता में पड़ गए थे किसान
इस साल मॉनसून मौसम के इस लुकाछिपी खेल ने क्षेत्र के किसानों को चिंता में डाल दिया था। इस साल सिकंदर धार में बसने वाले इलाकों, भराड़ू, बीहूं, नौहली, द्राहल, मकरीड़ी, बसाही, नेरी-लांगणा और लडभड़ोल में नाममात्र ही बारिश हुई थी जिसके चलते लोगों में दैवीय प्रकोप की भी चर्चा होने लगी थी। (पढ़ें संबन्धित खबर)
गौरतलब है कि इस क्षेत्र में पिछले 1 साल में लगभग एक दर्जन मवेशियों को स्थानीय लोगों ने जंगलों में बांध कर छोड़ दिया था जिससे उनमें से कुछ मवेशी भूख प्यास से तो कुछ जंगलों में लगाई आग में जल कर मर गए थे।
पशुधन के छुटकारे के लिए अपना रहे अमानवीय तरीके
गौरतलब है कि क्षेत्र के निवासियों में खेती के लिए घटते रुझान रुझान के चलते या खेती के लिए कृषि औजारों और मशीनों के चलते मवेशियों खास कर बैलों को पालने का रुझान कम हो गया है। कुछ लोग किसी भी तरीके से पहले से पाले हुए पशुओं से छुटकारा पाना चाहते हैं। इसके लिए कुछ लोग अमानवीय तरीकों का सहारा भी ले रहे हैं जिनमें मवेशियों को जंगल मे बांध कर भूख-प्यास से मरने के लिए छोड़ देना मुख्य है। चूंकि पालतू पशु खुले छोड़ देने पर घर वापिस आ जाते हैं इसलिए लोग इन्हें जंगलों में रस्सी से बांध कर छोड़ देते हैं।
प्रशासन ने की अपील
मवेशियों को अमानवीय तरीके से मारे जाने को लेकर प्रशासन भी अवगत है। जोगिंदर नगर प्रशासन निवासियों से पहले भी अपील कर चुका है कि लोग मवेशियों को जंगलों में न छोड़े बल्कि इन्हे किसी भी नजदीकी गौशाला में नि:शुल्क छोड़ दें।