जोगिन्दरनगर : अन्तर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा मंगलवार को आराध्य देव श्री रघुनाथ की रथ यात्रा के साथ ही शुरू हो गया.दोपहर बाद रघुनाथ जी की पालकी सुल्तानपुर मंदिर से ढालपुर मैदान के लिए रीति रिवाज़ के साथ निकाली गई.रथयात्रा की अगुवाई राजपरिवार के सदस्यों ने छड़ीवरदार महेश्वर सिंह के साथ की.
राज्यपाल ने निहारी रथयात्रा
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने भव्य रथयात्रा को वन एवं परिवहन मंत्री गोविन्द ठाकुर तथा परिवार सहित संस्कृति सदन से निहारा. रथयात्रा ठीक 4 बजकर 45 मिनट पर शुरू हुई जिसमें हज़ारों संख्या में रघुनाथ के रथ का रस्सा खींच कर अस्थाई कैम्प तक ले गए. आगामी साथ दिनों तक भगवान रघुनाथ की ढालपुर मैदान में विधिवत पूजा अर्चना होगी.
रथयात्रा में 50 देवता हुए शामिल
रथयात्रा में करीब 50 देवताओं ने हाजरी भरी जबकि उत्सव में पहले दिन करीब 220 देवी -देवता अपने हरियानों के साथ ढोल नगाड़ों की थाप पर नाचते गाते पहुंचे. रथयात्रा को देखकर लग रहा था जैसे समस्त देवी देवता स्वर्गलोक से धरती पर उतर आए हों.
देवमय हुआ कुल्लू
चारों ओर ढोल नगाड़ों की थाप, शहनाइयों,करनाल व रणसिंगों के मधुर स्वरों से समूचा कुल्लू देवमय हो उठा. देव धूमल नाग ने रथयात्रा के लिए स्वयं मोर्चा सँभालते हुए ट्रैफिक पुलिस की तरह भूमिका निभाई और रास्ता बनाया. देश विदेश के हजारों श्रद्धालु इस मौके पर इस क्षण के गवाह बने.
विजयदशमी के दिन शुरू होता है दशहरा
कुल्लू दशहरे की विशेषता यह है कि जब देश में दशहरा सम्पन्न होता है तो कुल्लू का दशहरा विजयदशमी के दिन शुरू होता है.साथ दिनों तक देवी देवता अस्थाई शिविरों में रहते हैं तथा श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं.
दिन रात चलते हैं सांस्कृतिक कार्यक्रम
कुल्लू दशहरा के दौरान एतिहासिक लाल चंद प्रार्थी कला केंद्र में 6 दिन तक दिन रात सांस्कृतिक कार्यक्रमों का दौर चलता है. सांस्कृतिक कार्यक्रम में वालीवुड कलाकारों के अलावा देश विदेश के सांस्कृतिक दल अपनी प्रस्तुति देकर लोगों का मनोरंजन करते हैं.