राज्य में कोरोना के मामले बढऩे के बाद स्कूलों को बंद करने या न करने पर वेट एंड वॉच की स्थिति है। स्वास्थ्य विभाग अगले दो दिन तक स्कूलों के मामलों को देखेगा और उसके बाद फिर आगे फैसला होगा। बीच में रविवार आने के कारण स्कूलों की सैंपलिंग प्रभावित हुई है।
सोमवार या मंगलवार को कोरोना केस के आधार पर स्कूलों को लेकर अगली सिफारिश की जाएगी। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ यह भी मान रहे हैं कि राज्य में फेस्टिवल सीजन चल रहा है, शादियां हो रही हैं और चुनावी सभाएं भी हो रही हैं। इसलिए बच्चों में मामले बढ़ने ही थे।
यदि स्कूल बंद होते तो भी बच्चे पॉजिटिव हो सकते थे, लेकिन अभी स्कूल बंद करने से जो फायदा होगा, वह कोरोना की चेन ब्रेक करने में होगा। स्कूलों पर अगला फैसला लेने से पहले शिक्षा विभाग का फीडबैक भी जरूरी होगा। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि दिवाली के बाद 12 नवंबर को नेशनल अचीवमेंट सर्वे का एग्जाम है और उसके बाद 18 नवंबर से बोर्ड की टर्म वन परीक्षाएं शुरू हो रही हैं।
स्कूलों को बंद करने की चर्चाएं भी तभी शुरू हुई थी जब कांगड़ा के सलेटी स्कूल में नौवीं की छात्रा कोरोना पॉजिटिव होने के बाद मौत का ग्रास बन गई थी। इस स्कूल में भी 12 और बच्चे पॉजिटिव आने से क्लस्टर बन गया था।
उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक डा. अमरजीत शर्मा ने बताया कि स्कूलों में बेशक मामले आ रहे हैं, लेकिन स्थिति नियंत्रण में है। वर्तमान में सवा दो लाख से ज्यादा बच्चे आठवीं से 12वीं की कक्षाओं में आ रहे हैं और यह एक अच्छा रिस्पांस है। बच्चे समाज का ही हिस्सा हैं, इसलिए संक्रमण कहीं भी हो सकता है, लेकिन शिक्षा विभाग पूरी एहतियात के साथ आगे बढ़ रहा है।
राज्य नेशनल हैल्थ मिशन के निदेशक हेमराज बैरवा ने कहा कि स्कूलों में कोरोना के केस आना हैरानीजनक नहीं है। हम जिस स्थिति में हैं उसको देखते हुए यह मामले आने ही थे, क्योंकि अब सब कुछ खुल चुका है। लेकिन फिर भी कोरोना की चेन को ब्रेक करने के लिए सोमवार से शुरू हो रहे सप्ताह के केस देखे जाना बहुत जरूरी है। हम इसके बाद ही आगे कुछ कह पाएंगे।