जोगिन्दरनगर : जोगिन्दरनगर उपमंडल के तहत ग्राम पंचायत पीपली के गाँव कुराटी में स्थित यह मंदिर 250 से 300 साल पुराना है. इस मंदिर का पुननिर्माण पुजारी श्री प्यारे लाल स्पुत्र श्री देवी सिंह लडवाण निवासी ने सन 1985 में करवाया था.
स्कूल के साथ है मन्दिर
श्री प्यारे लाल जी का कहना है कि जंहा आजकल कुराटी में प्राइमरी स्कूल है वहां पहले उनके पूर्वजों का पुस्तैनी घर था. उनके पूर्वजों ने अपनी जमीन स्कूल के लिए दान कर दी.
कुराटी स्कूल पहले घनैतर गाँव में था. वहाँ स्कूल की दृष्टि से उचित जगह न होने पर गाँव कुराटी में स्कूल बनाया गया. इसलिए आज भी इस स्कूल को घनैतर स्कूल के नाम से जाना जाता है !
जब पुजारी को हुआ स्वपन
मंदिर के अंदर गणेश भगवान् की मूर्ति है. पुजारी जी के अनुसार गणेश जी को ही गुरु मानते आ रहे हैं. पुजारी का कहना है कि पहले मंदिर स्कूल के दूसरे किनारे में था जंहा वर्तमान में पानी का टैंक है वंहा ही श्री गणेश जी का छोटा सा मंदिर था.
एक बार पुजारी जी को स्वपन हुआ कि गुरु महाराज ने उनें दर्शन दिए और कहा कि मेरा मंदिर पीपल के पेड़ के पास बनाया जाए . तभी से यह मंदिर पीपल के पेड़ के नजदीक बनवाया गया है.
पंपलू मिस्त्री ने किया था निर्माण
श्री प्यारे लाल जी का कहना है कि मंदिर का निर्माण मिस्त्री पंपलू जी जो कि गाँव के मटकेहड़ू ( द्रुब्बल ) के रहने वाले थे उनसे 12000 रूपये राशि देकर करवाया था. प्यारे लाल जी ने कहा कि गाँव पीपली से श्री लेख राम जी जो कि बैंक से सेवानिवृत्त हैं उनकी भी उस वक्त मंदिर निर्माण के लिए अहम भूमिका रही है.
सिद्ध पुरुष ने की थी साधना
पुजारी प्यारे लाल ने आगे बताया कि उनके पड़दादा के दादा जोकि एक सिद्ध पुरुष थे उन्होने इस जगह साधना की थी. मान्यता के अनुसार लोगों की फसल में अगर चूहा बगेरा या फसल में किसी तरह की बीमारी आदि लग जाती थी तो लोग उनके पास यंहा मंदिर आते थे.
श्री सिद्ध पुरुष उनको फसल बचाने हेतु विभूति देते थे. जिस कारण फसल की पैदावार अच्छी होती थी. तभी से लेकर आजतक इस मंदिर में लोग कनक के पहली फसल मंदिर में मेले के दिन चढ़ाते हैं ताकि हर वर्ष अच्छी फसल हो.
लगता है मेला
श्री गुरु महाराज की कृपा से गाँव कुराटी में वर्षों से मेले का आयोजन होता आ रहा है. आज भी यह मेला हर वर्ष जेठ महीने की 18 प्रविष्ठे को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. लोग दूर-दूर से कुराटी पहुँच कर इस मेले का आंनद लेते है. इस मेले का आयोजन पंचायत स्तर पर किया जाता है.
मेले के दौरान विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. मेले से कुछ दिनों पहले स्थानीय युवाओं द्वारा क्रिकेट ट्रॉफी की प्रतियोगिताओं का आयोजन करवाया जाता है. और मेले वाले दिन मुख्यातिथि से विजेता टीमों को पुरस्कृत किया जाता है. इस मेले को * ठाहरा रा मेला *( गुरु मेला ) के नाम से जाना जाता है.
मंदिर का होगा जीर्णोद्धार
पुजारी श्री प्यारे लाल जी का कहना है कि मन्दिर बहुत पुराना हो गया है. मंदिर बहुत पुराना होने के कारण मंदिर की हालत जर्जर हो गयी है. उन्होने कहा कि भविष्य में उनकी योजना है की जब भी गुरु महाराज का आदेश हुआ तो मंदिर का पुनः भव्य व सूंदर ढंग से निर्माण करवाया जाएगा.