विज्ञान ने भी माना, बच्चों के बेहतर विकास के लिए जरूरी हैं दादा -दादी

जोगिन्दरनगर : जिस प्रकार आज शहर बढ़ रहा है और हमारे कमरे छोटे पड़ रहे हैं, लोग अकेले हो रहे हैं. आज सभी अपनी छोटी सी फैमिली में रहना पसंद करते हैं जिनमें दादा- दादी या नाना -नानी केवल मेहमान बन कर रहे जाते हैं. क्या आप जानते हैं कि दादा दादी बच्चों के विकास में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ऐसे बच्चे जो अपने दादा -दादी या नाना- नानी के साथ रहते हैं उनमें एक अलग तरीके की समझ होती है और एक ख़ास किस्म की संवेदना होती है. ऐसे बच्चे हमेशा खुश,मिलनसार और चीजों को मिल बाँट कर इस्तेमाल करने वाले होते हैं. जो बच्चे अपने दादा -दादी या माँ -बाप के साथ रहते हैं उनमे परिवार में रहने और सभी की भावनाओं की कद्र करने की एक ख़ास कला होती है. आज हम आपको ऐसे 5 कारण बताएँगे कि आख़िरकार क्यों जरूरी है बच्चों का अपने दादा -दादी या नाना -नानी के साथ रहना.

1. खुश और सुरक्षित रहते हैं बच्चे

नौकरी पर जाने वाले माँ बाप या वर्किंग पेरेंट्स के लिए उनके माँ बाप का साथ रहना उनके बच्चों की परवरिश के लिए पर्याप्त होता है. उन्हें बच्चों को पालने के लिए किसी दाई की जरूरत नहीं पड़ती. दादा -दादी और नाना -नानी के साथ बच्चों को केवल पालने में ही मदद नहीं होती बल्कि बच्चे उनकी छत्र छाया में अपने को सुरक्षित भी महसूस करते हैं और खुश रहते हैं.

2. मानवीय गुण होते हैं विकसित

जब बच्चे अपने परिवार के इतिहास के बारे में बहुत कुछ जानते हैं और अपने परिवार के इतिहास के बारे में बहुत कुछ जानते हैं और अपने दादा- दादी की भावनात्मक बातें समझा करते हैं तो इस तरह बच्चों में किसी से भी जुडाव रखने की भावना को प्रबलता मिलती है. बच्चें न सिर्फ दादा- दादी के और करीब आते हैं बल्कि उनमें स्नेह,आदर और सेवा जैसे मानवीय गुण विकसित होते हैं.ऐसे बच्चों का दिमाग भी तेज़ होता है तथा वे मुश्किलों का डटकर मुकाबला करने में सक्षम होते हैं.

3.भावनात्मक तरीके से बनते हैं मजबूत

जब बच्चे अपने दादा -दादी के साथ बहुत समय बिताते हैं तो उनके पास किसी भी भावनात्मक या व्यवहार सम्बन्धी परेशानियों से निपटने के लिए बेहतर समझ पैदा हो जाती है. आग चलकर बड़े होने पर यही चीजें उन्हें किसी भी तरह के आघात का सामना करने में सक्षम बनते हैं. ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा किए गये अध्ययन में पता चला है कि दादा दादी के संपर्क में रहने वाले बच्चे अकेलेपन,चिंता और डिप्रेशन जैसी समस्याओं से कम पीडित होते हैं.

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