पांच वर्ष की दिहाड़ीदार सेवा एक वर्ष की नियमित सेवा के बराबर: सुप्रीम कोर्ट

शिमला।। 5 वर्ष की दिहाड़ीदार सेवा को 1 वर्ष की नियमित सेवा के बराबर माना जाएगा और यदि कर्मचारी की दिहाड़ीदार सेवा का 20% और नियमित सेवा के कुल वर्ष मिलाकर 8 वर्ष का कार्यकाल भी बनता है, तो भी सरकारी कर्मी पेंशन लेने का हक रखेगा। इसे न्यूनतम पेंशन के लिए 10 साल के बराबर मान लिया जाएगा।

सुंदर सिंह सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग में चतुर्थ श्रेणी दिहाड़ीदार कार्यरत था। उसे दिहाड़ीदार सेवाओं को 10 साल की सेवा पूरी करने के पश्चात पहली जनवरी, 2000 से नियमित किया गया था। 6 साल 2 महीने की नियमित सेवा पूरी करने के पश्चात वह सेवानिवृत्त हो गया। 6 साल 2 महीने की नियमित सेवा के चलते उसे विभाग द्वारा पेंशन देने से मना किया गया, जिस कारण उसने हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल की और अंतत: उसे सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिली

एक ऐतिहासिक फ़ैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने सुंदर सिंह नामक मामले में पारित अपने फैसले की व्याख्या करते हुए यह स्पष्ट किया है। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने सुंदर सिंह नामक मामले में यह व्यवस्था दी है कि पांच वर्ष की दिहाड़ीदार सेवा को एक वर्ष की नियमित सेवा के बराबर माना जाएगा।

10 वर्ष की दिहाड़ीदार सेवा को दो वर्ष की नियमित सेवा के बराबर माना जाएगा, ताकि कर्मी कुछ वर्षों की नियमित सेवा की कमी के चलते पेंशन के लाभ से वंचित न हों।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुंदर सिंह नामक इस फैसले को लेकर प्रदेश हाई कोर्ट की एकल पीठ व खंडपीठों के फैसलों में विरोधाभास उत्पन्न हो गया था, जिस कारण मामले को तीन जजों की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए रखा गया था।

एकल पीठ व एक खंडपीठ का यह मत था कि अगर नियमित सेवा के साथ दिहाड़ीदार सेवा का लाभ देते हुए आठ वर्ष की सेवा का कार्यकाल पूरा हो जाता है, तो उस स्थिति में सरकारी कर्मी पेंशन लेने का हक रखेगा।

मामले से जुड़े तथ्यों के अनुसार प्रार्थी का पति सुंदर सिंह सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग में चतुर्थ श्रेणी दिहाड़ीदार कार्यरत था। उसे दिहाड़ीदार सेवाओं को 10 साल की सेवा पूरी करने के पश्चात पहली जनवरी, 2000 से नियमित किया गया था। छह साल दो महीने की नियमित सेवा पूरी करने के पश्चात वह सेवानिवृत्त हो गया। छह साल दो महीने की नियमित सेवा के चलते उसे विभाग द्वारा पेंशन देने से मना किया गया, जिस कारण उसने हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल की और अंतत: उसे सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिली।

जोगिन्दरनगर की लेटेस्ट न्यूज़ के लिए हमारे फेसबुक पेज को
करें।