गर्मियों के मौसम में पहाड़ों पर उगने वाले लिंगड़ या लिंगुड़ा ( पहाड़ी भाषा में लुंगड़ू ) की सब्जी वास्तव में बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। अंग्रेजी में लिंगड़ को फिडलहेड्स फ़र्न (Fiddlehead Fern), या केवल फिडलहेड ग्रीन्स (fiddlehead greens) के नाम से जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Diplazium Esculentum है।
क्या होता लिंगड़?
लिंगड़ रोएंदार पत्तों का एक घुमावदार पौधा होता है। आरंभिक अवस्था में इसका तना एक कोमल डंठल के रूप में होता है, जबकि इसका सिरा कुंडली की तरह मुड़ा हुआ होता है। इसी आरंभिक अवस्था में लिंगड़ को सब्जी के रूप में उपयोग करने के लिए काटा जाता है। पूर्ण विकसित होने पर इसके पत्ते खुल जाते हैं और यह एक सख्त तने वाले घास के पौधे का रूप ले लेता है।
कहाँ उगता है लिंगड?
छायादार और नमी वाले स्थानों में लिंगड़ गुच्छों या झुंडों में उगता है। लिंगड़ ठंडी जलवायु वाले क्षेत्र में समुन्द्र तल से 18000 से लेकर 3000 मीटर की ऊँचाई तक पाया जाता है। भारत में यह हिमालय के तराई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। हिमाचल में लुंगड़ू या लिंगड़ गर्मियों के मौसम में पाया जाता है। पूर्ण विकसित होने पर यह एक घास के रूप में छोटा पौधा बन जाता है। (चित्र)
भारत में लिंगड़ और इसके नाम
भारतीय उपमहाद्वीप में यह उत्तर भारत के हिमालयी राज्यों, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर व उत्तराखंड में पाया जाता है। वहीँ पूर्वोत्तर भारत के हिमालयी राज्यों, में पाया जाता है। हिमाचल प्रदेश के चम्बा में इसे “कसरोद” के नाम से जाना जाता है।
त्रिपुरा राज्य में इसे मुइखोनचोक के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में इसे लिंब्रा कहा जाता है. उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में इसे लंगुड़ा कहा जाता है। दार्जिलिंग और सिक्किम क्षेत्रों में, इसे नियुरो कहा जाता है और यह सब्जी के साइड डिश के रूप में आम है, जिसे अक्सर स्थानीय पनीर के साथ मिलाया जाता है।
पश्चिम बंगाल के दक्षिणी क्षेत्रों में इसे ढेकी शाक या ढेकी शाग के नाम से जाना जाता है। असम में, इसे ढेकिया ज़क के नाम से जाना जाता है; वहां यह एक लोकप्रिय साइड डिश है। जम्मू-कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में इसे कसरोड के नाम से जाना जाता है। सबसे प्रसिद्ध डोगरा व्यंजन कसरोद का अचार (फिडलहेड फर्न अचार) है।
पुंछ में इसे स्थानीय भाषा में ‘कंदोर’ (कंडोर) के नाम से जाना जाता है। किश्तवाड़ में इसे स्थानीय भाषा किश्तवाड़ी में टेड के नाम से जाना जाता है। इसे रोटी या परांठे के साथ खाने के लिए सूखी सब्जी के साइड डिश के रूप में भी पकाया जाता है। जम्मू और कश्मीर के रामबन जिले में, इसे खाह भाषा में “डीडीडी” कहा जाता है। यह कोडागु (कूर्ग) की पहाड़ियों में भी पाया जाता है। स्थानीय भाषा में थर्म थोप्पू के रूप में जाना जाता है, इन्हें पल्या में बनाया जाता है और चावल या ओटी (पके हुए चावल और चावल के पाउडर से बनी रोटी) के साथ खाया जा सकता है।
औषधीय गुण और अन्य लाभ
लिंगड़ में अनगिनत पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं जो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। यह मधुमेह जैसी खतरनाक बीमारी के लिए लाभदायक होता है। इसमें मेग्निश्यम, कैल्शियम, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाशियम आयरन और जिंक होता है।
कुपोषण से निपटने के लिए लिंगड़ को एक अच्छा प्राकृतिक खाद्य पदार्थ माना गया है। लिंगड़ अतिसार, डायरिया व अन्य रोगों को ठीक करने में लाभदायक सिद्ध होता है।
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विटामिन की खान
इसमें विटामिन ए, बी काम्प्लेक्स, कैरोटीन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। यह चर्म रोगों में भी लाभकारी है। इससे त्वचा भी अच्छी रहती है। यह दिल के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है।
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इम्यून सिस्टम के लिए लाभदायक
यह शरीर में इम्यून सिस्टम को ठीक करता है.यह सब्जी लिवर को स्वस्थ बनाने का कार्य करती है. फैटी लिवर के लिए भी इसकी सब्जी लाभदायक है. इसकी सब्जी रक्त में मौजूद शर्करा की मात्रा को नियंत्रण करती है। इसकी सब्जी जोड़ों के दर्द में लाभदायक होती है.यह शरीर में रुधिर संचरण को सुचारू रूप से नियंत्रण रखने में सहायक है।
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कैंसर से लड़ने में सहायक
इसकी सब्जी खाने से कैंसर से लड़ने की शक्ति मिलती है। चोट लगने पर इसकी जड़ गांठ को पीस कर लेप लगाने से दर्द से छुटकारा मिल जाता है। इसकी फर्न को बारीक़ पीसकर जोड़ों पर लगाने पर गठिया की बीमारी दूर हो जाती है।
इसके अलावा इसकी सब्जी खाने से मांसपेशियाँ और हड्डियाँ मजबूत हो जाती हैं। माना जाता है कि यदि इसका उपयोग दही व छाछ यानी लस्सी में करें तो इससे कई रोग दूर हो जाते हैं।
स्वादिष्ट सब्जी और आचार
अधिकाँश पहाड़ी क्षेत्रों में लिंगड़ से कई प्रकार के व्यजन बनाये जाते हैं। हालाँकि इसे मुख्य रूप से हल्की-सी खटाई वाली सूखी-सब्जी के रूप में अधिक पसंद किया जाता है। हिमाचल की पारम्परिक धाम में लिंगड़ का दम ( मुख्य और स्वादिष्ट सब्जी ) बनाया जाता है। वहीँ दही में पका कर भी इसकी स्वादिष्ट सब्जी बनाई जाती है।
इसके अलावा लिंगड़ का आचार भी बनाया जाता है, जिससे कि लिंगड़ को खाने का साल भर लुत्फ़ उठाया जा सकता है।
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