हिमाचल में बारिश और बर्फबारी के आसार,कोहरे का अलर्ट ज़ारी

हिमाचल प्रदेश में पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक लोग सर्दी से कांप रहे हैं। जनजातीय क्षेत्रों में तो पारा जमाव बिंदू के काफी नीचे चला गया है। हिल्स स्टेशन शिमला से ज्यादा सर्दी राज्य के मैदानी व निचले हिस्सों में पड़ रही है। कांगड़ा, हमीरपुर और सोलन की रातें शिमला से ज्यादा ठंडी हैं।

मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार की रात शिमला से न्यूनतम तापमान 9.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, वहीं कांगड़ा, हमीरपुर और सोलन का न्यूनतम तापमान क्रमशः 9.7 डिग्री, 9.3 डिग्री औऱ 6 डिग्री सेल्सियस रहा। इसी तरह बिलासपुर और मंडी भी शिमला से ठंडे रहे और इन शहरों में पारा 9.7 डिग्री व 9.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।

जनजातीय जिला लाहौल स्पीति का ताबो सबसे ठंडा स्थल रहा, जहां पारा -5.5 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड हुआ। इसी जिला के कुकुमसेरी और केलंग में पारा -1.5 डिग्री व 0.2 डिग्री सेल्सियस रहा।

इसके अलावा अन्य शहरों में कल्पा में 2.4 डिग्री, समधो में 3.4 डिग्री, रिकांगपिओ व सियोबाग में 4.5 डिग्री, भुंतर में 5 डिग्री, मनाली व बजुआरा में 5.1 डिग्री, नारकंडा में 6 डिग्री, सैंज में 7.2 डिग्री, कुफ़री में 7.8 डिग्री, भरमौर में 8 डिग्री, बरठीं में 8.9 डिग्री, जुब्बड़हट्टी में 11.3 डिग्री औऱ कसौली में 11.5 डिग्री सेल्सियस रहा।

मौसम विभाग के अनुसार 25 शहरों का रात का पारा 10 डिग्री से नीचे रिकार्ड हुआ है। बीते 24 घंटों में राज्य के औसतन न्यूनतम तापमान में 0.3 डिग्री की गिरावट आई।

17 से 20 नवम्बर तक समूचे प्रदेश में मौसम के शुष्क रहने का अनुमान है। विभाग ने 15, 16, 17 व 18 नवम्बर को मैदानी हिस्सों में कोहरा छाने की आशंका जताई है। बिलासपुर, हमीरपुर, ऊना और मंडी में सुबह व शाम के समय घने कोहरे का येलो अलर्ट जारी करते हुए लोगों विशेषतौर पर वाहन चालकों को संभलकर वाहन चलाने की हिदायत दी है।

कोहरे की वजह से दृश्यता कम हो रही है। गुरूवार को बिलासपुर में दृश्यता 200 मीटर और मंडी में 500 मीटर रही। बता दें कि राज्य में पिछले करीब डेढ़ माह से बादल नहीं बरसे हैं। इससे कई जिले सूखे की चपेट में हैं।

किसान और बागवान बारिश का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। वर्षा न होने से गेहूं, जौ व मटर की बिजाई में देरी हुई है। इसी तरह पहाड़ी इलाकों में सेब के पौधों को पर्याप्त नमी न मिलने से इनकी ग्रोथ रुक गई है।

इसका प्रतिकूल असर अगले साल सेब सीजन पर पड़ेगा। बीते अक्टूबर माह में सामान्य से 98 फीसदी कम वर्षा हुई थी, वहीं इस माह पानी की एक बूंद भी नहीं बरसी है।

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