हिमाचल प्रदेश में सीमैंट फिर महंगा हो गया है। सीमैंट कंपनियों ने इसके दामों में 10 रुपए की वृद्धि की है। इससे प्रदेश में सीमैंट के दाम 400 से 450 रुपए के बीच में हो गए हैं। प्रदेश में प्रत्येक जिले में सीमैंट के दाम अलग-अलग हैं। मालभाड़ा इसकी वजह है।
जिन जिलों का मालभाड़ा बहुत अधिक है उनमें सीमैंट के दाम 450 रुपए प्रति बैग से भी अधिक हो सकते हैं। प्रदेश में पिछले काफी समय से सीमैंट के लगातार दाम बढ़ रहे हैं। सीमैंट कंपनियां कभी 5 तो कभी 2-3 रुपए दाम बढ़ा रही हैं लेकिन इस बार सीधे 10 रुपए की वृद्धि की गई है। ऐसा नहीं है कि सीमैंट के दामों में वृद्धि हो रही है।
महंगाई के कारण मकान का निर्माण करना महंगा हो गया है। निर्माण सामग्री के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इसके कारण लोगों का बजट बिगड़ गया है। एक सप्ताह के अंदर ही निर्माण सामग्री के दामों में परिवर्तन हो रहा है, जिसके कारण आम आदमी को काफी परेशान होना पड़ रहा है। निर्माण की लागत लगातार बढ़ रही है।
सीमैंट के अलावा पिछले एक सप्ताह में ही टाइलों के दामों में 10 से 15 रुपए की वृद्धि हुई है। जिस टाइल की कीमत 35 रुपए फुट थी अब वह कीमत बढ़कर 40 से 45 रुपए हो गई है। पिछले कुछ समय में टाइलों की मांग लगातार बढ़ रही है या यूं कहें कि टाइलों के बिना अब मकान नहीं बन रहे हैं।
इसकी डिमांड बढऩे के कारण भी कीमतों में बढ़ौतरी हुई है। वहीं सरिया के दामों में भी लगातार वृद्धि हो रही है। पिछले कुछ दिनों में ही सरिया के दामों में करीब 500 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है। सरिया के दाम 5300 से 5500 रुपए प्रति क्विंटल के बीच हो गए हैं। ईंट की कीमत भी लगातार बढ़ रही है।
ईंट के भट्ठे में एक ईंट की कीमत करीब 6 रुपए है। उपभोक्ताओं तक पहुंचते-पहुंचते मालभाड़ा के साथ ही एक ईंट की कीमत 8 से 9 रुपए के बीच में हो जाती है। पिछले एक सप्ताह में रेत के दामों में भी 200 रुपए प्रति 100 फुट वृद्धि हुई है।
राहत की बात यह है कि पिछले कुछ दिनों में बजरी के दामों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। पीवीसी पाइप की कीमत में भी 60 रुपए की वृद्धि हुई है। हालत यह हो गई है कि यदि कोई 20 लाख रुपए के एस्टीमेट के साथ छोटा-सा मकान बनाने का काम शुरू करता है तो एक सप्ताह में ही इस एस्टीमेट में एक लाख रुपए की बढ़ौतरी हो रही है क्योंकि तब तक किसी न किसी निर्माण सामग्री की कीमत में वृद्धि हो जाती है।
सीमैंट की कीमतों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। यही कारण है कि पिछले कुछ समय से इसके दाम लगातार बढ़ रहे हैं। महंगाई का यह सिलसिला कब थमेगा, इस बारे में फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता।