स्वास्थ्य की दुनिया में पारंपरिक उपचार और घरेलू नुस्खे फिर से अपनी जगह बना रहे हैं। ऐसा ही एक अनोखा उदाहरण है बांस की कलियों का है जो न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि थायरॉइड जैसी समस्याओं के उपचार में भी कारगर साबित हो रही हैं।
वल्लभ महाविद्यालय में वनस्पति विज्ञान की प्राध्यापक डा. तारा सेन का कहना है कि बांस के पौधे की कोंपलें, जिन्हें आमतौर पर बांस की कोंपल, शूट्स या कलियां कहा जाता है।
जिसे स्थानीय बोली में मानुके नाम से जानी जाती हैं। इन्हें सलाद, सूप, अचार और विभिन्न व्यंजनों में शामिल करके न केवल खाने का स्वाद बढ़ाया जा सकता है, बल्कि स्वास्थ्य को भी मजबूती प्रदान की जा सकती है।
डा. तारा सेन का कहना है कि बांस का अचार, जो न केवल स्वाद में बेहतरीन होता है। बल्कि थायरॉइड जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है।
उन्होंने बताया कि हाल ही में एक स्थानीय सब्जी विक्रेता मीना कुमारी ने थायरॉइड की समस्या से छुटकारा पाने में बांस की कलियों की महत्ता के अपने अनुभव साझा किए।
मीना कुमारी ने बताया कि वह लंबे समय से थायरॉइड की समस्या से जूझ रही थीं और डॉक्टर ने उन्हें जीवनभर दवाइयां लेने की सलाह दी थी।
लेकिन जब उन्होंने पारंपरिक ज्ञान के आधार पर बांस का अचार बनाकर सेवन करना शुरू किया, तो उन्हें बहुत अच्छे परिणाम मिले और उनकी दवाइयां भी बंद हो गई।
उन्होंने अपना अनुभव अपने कई ग्राहकों से साझा किया और वे बताती हैं कि उन्हें भी थायरॉइड की समस्या से राहत मिली। वे बीते बीस वर्षों से वह बांस का अचार बना रही हैं और ग्राहकों की मांग पर बांस उपलब्ध कराती हैं।
डा. तारा ने बताया कि थायरॉइड के उपचार में बांस की कलियों की प्रभावशीलता का वैज्ञानिक आधार। उन्होंने बताया कि बांस की कलियां स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पोषण के मामले में भी बेहद फायदेमंद मानी जाती हैं।
ये कम कैलोरी वाली और फाइबर से भरपूर होती हैं, जो पाचन स्वास्थ्य को सुधारने और वजन नियंत्रण में भी मददगार हैं। बांस की कोंपलों में विटामिन 6, विटामिन, पोटेशियम, कैल्शियम और आयरन जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं।